चकाचक सफेद कमीज पहने
काली टोपी लगाए
लघु पुस्तिकाओं से भरा झोला
कंधे पर लटकाए
हमारे एक राष्ट्रवादी मित्र
सुबह ही सुबह
बिना हमें बताएं
घर पर पधार गए
कोरोना काल में उन्हें देखकर
हम सब अचकचा गए
जब तक हम कुछ समझ पाते
उनके स्वागत में कुछ कह पाते
सोफे पर पसरते हुए
उन्होंने हमारी पत्नी को
हाथ जोड़कर की नमस्ते
बोले गुजर रहा था इस रस्ते
सोचा आप सब से मिलता चलूं
राष्ट्रहित पर चिंतन करता चलूं
हमने कहा - भाई साहब
आजकल हम बहुत तनाव में हैं
अगले हफ्ते पंचायत चुनाव हैं
शहरों के साथ-साथ गांव में भी
कोरोना पैर पसार रहा है
हर रोज बढ़ती जा रही है
पीड़ितों की संख्या
बता यह अखबार रहा है
एक और मास्क न पहनने पर
कट रहे चालान हैं
कैसे करेंगे चुनाव ड्यूटी
यह सोचकर हम हलकान हैं
कैसे हो पाएगी दो गज की दूरी
गांव में कैसे कट पाएगी रात पूरी
सुनकर हमारी बात
दार्शनिक अंदाज में उन्होंने
हमें समझाया
राष्ट्रहित का वास्तविक अर्थ
हमें बताया
पंचायत चुनाव
सत्ता का विकेंद्रीयकरण है
हर राजनीतिक पार्टी में
हर्ष का वातावरण है
लोकतंत्र की रक्षा हेतु
चुनाव करना -कराना
हम सबकी जिम्मेदारी है
हमने कहा - भाई साहब
चुनाव पर यह आपदा तो भारी है
मौतों का सिलसिला लगातार जारी है
अस्पतालों में बेड नहीं हैं
ऑक्सीजन की मारामारी है
चाय का घूंट पीते हुए
चेहरे पर मुस्कान लाते हुए
वह बोले
चुनाव का मामला
राष्ट्रहित से जुड़ा हुआ है
और राष्ट्र के हित में
अपने प्राणों की चिंता न करना
हम सबकी जिम्मेदारी है
रही बात इस वायरस की
यह कम इम्युनिटी वालों को ही
पकड़ता है
गंभीर रोग वालों को ही
जकड़ता है
यह शरीर तो नश्वर है
हमारी रक्षा करने वाला ईश्वर है
मौतों की खबरों से
बिल्कुल मत घबराइए
तनाव से पूरी तरह मुक्त हो जाइए
सकारात्मक सोच के साथ
राष्ट्र के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाइये
जाते-जाते वह जता गए
धीरे-धीरे हम
सुनहरे कल की ओर बढ़ रहे हैं
सशक्त भारत , स्वस्थ भारत
का निर्माण कर रहे हैं
✍️ डॉ मनोज रस्तोगी
8,जीलाल स्ट्रीट
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल फोन नम्बर 9456687822
बहुत सुन्दर, सुन्दर व्यंग्य।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई और अनंत शुभकामनाएं
बहुत बहुत आभार , भाई
हटाएंजय हो
जवाब देंहटाएं🙏🙏🙏🙏🙏
हटाएंबहुत ही सुंदर कविता है
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद , निलेश जी ।
हटाएंयथार्थ परक मारक व्य॓ग्य ।साधुवाद ।
हटाएंबहुत बहुत आभार ।
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