बुधवार, 12 अक्टूबर 2022

मुरादाबाद की साहित्यकार मीनाक्षी ठाकुर की बाल कहानी ---- बत्तख का बच्चा

 


सोना बत्तख अपने दोनों बच्चों सोनू और मोनू के साथ एक बड़ी सी झील में रहती थी.उस झील का पानी बहुत  ही साफ और नीले रंग का था . उस झील में बहुत सुंदर- सुंदर  लाल और सफेद रंग के कमल के बड़े- बड़े फ़ूल खिले  हुए थे. सोना बत्तख बच्चों को लेकर झील के किनारे- किनारे ही तैरती रहती थी, झील के बीच में या अधिक दूर तक नहीं जाती थी, क्योंकि झील के बीच में एक बहुत ही  बड़ी और खतरनाक  मछली रहती थी, जो बत्तखों के छोटे बच्चों को पकड़ कर खा जाया करती थी.लेकिन वह झील के किनारे वाले पानी में नहीं आती थी, क्योंकि यहाँ पर बत्तखों के बहुत सारे परिवार आपस में मिलजुल कर रहते थे.अत: किसी भी बड़ी मछली के इस ओर आने पर सब बतखें एक साथ मिलकर, उस पर अपनी चोंच से हमला बोलकर उसे भगा देतीं थीं.

    सोना बत्तख के दोनो बच्चे बहुत सुंदर और मोती जैसे सफेद रंग वाले थे.सोनू जहाँ समझदार था, वहीं मोनू बहुत ज़िद्दी, लापरवाह  और नटखट था .वह किसी बड़े का कहना भी नहीं मानता था.सोना ने  दोनो बच्चों को झील के बीच में न जाने की सख्त़ हिदायत दे रखी थी.एक दिन सोना दोनो बच्चों को झील के किनारे बैठाकर शाम के भोजन का इंतजाम करने अपनी सहेलियों के साथ थोड़ी देर के लिए कहीं चली गयी. जाते- जाते ,सोनू और मोनू से झील के अंदर जाने को मना कर गयी. लेकिन सोना के जाते ही मोनू चुपके से झील के पानी में उतर गया और अकेला तैरने लगा. उसे तैरने में बहुत मज़ा आ रहा था.रंग -बिरंगे कमल के फूलों को देखता हुआ, वह कब झील में बीचो -बीच पहुँच गया, उसे पता ही नहीं चला.जब उसने पीछे मुड़कर देखा तो वहाँ से किनारा बहुत दूर था.उसे मोनू और सोना कहीं नज़र नहीं आ रहे थे.

 अब तो वह घबरा कर ज़ोर ज़ोर से रोने लगा. तभी उसने एक बड़ी सी मछली को अपनी ओर आते देखा. यह वही खतरनाक मछली थी, उसे देख वह भय से थर- थर काँपने लगा. तभी, उसे अपने पीछे से  एक  बड़ी मीठी सी आवाज सुनाई दी, "घबराओ मत प्यारे बच्चे..!आओ मेरे ऊपर बैठ जाओ..! जल्दी करो..!"उसने पीछे मुड़कर देखा तो एक सफेद रंग का बड़ा सा कमल का फ़ूल , उसे बुला रहा था.अतः मोनू तुरंत कूद कर उस कमल के फूल पर अपने शरीर को सिकोड़ कर बैठ गया.

वह बड़ी मछली जब  उधर आयी तो सफेद रंग के कमल के फूल पर छिपे हुए सफेद बत्तख के बच्चे को नहीं देख पायी.इस प्रकार दोनो,  एक रंग के होने के कारण उस मछली को चकमा देने में सफल हो गये.

  थोड़ी देर में कमल का फ़ूल मोनू को लेकर तैरता हुआ, किनारे पर ले आया, जहाँ सोना और सोनू, मोनू के लिए बहुत परेशान हो रहे थे. मोनू को घर वापस आया देखकर वे दोनों बहुत खुश हुए, और सफेद कमल को उसकी दयालुता के लिए धन्यवाद दिया. मोनू ने भी अपनी माँ सोना से  माफी माँगी और  वादा किया कि वह अब कभी  भी बिना बताये, घर से अकेला कहीं नहीं जायेगा और बड़ों का कहना मानेगा.अब तीनों मिलकर पहले की तरह खुशी -खुशी रहने लगे.


✍️ मीनाक्षी ठाकुर

मिलन विहार

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

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