(1) बारिश
धूप खिल रहीं थीं चारों ओर
तड़के की हो रहीं थीं भोर
तभी अचानक घिर आये बादल
बारिश हुई और नाचे मोर
झम झम बारिश की बरसे फ़ुहार
ऐसे लगे जैसे आ गयी बहार
पेड़ों के पंछी लगे चहचहाने
मानो जैसे कोई हो त्यौहार
सावन में मनभावन बारिश
जुड़ रहें हैं यूँ मन के तार
फ़िर माँ ने पीछे से आवाज लगाई
अंदर आओ यूँ डांट लगाई
मन में चंचलता बारिश को देखूँ
धीरे धीरे से हाथों में यूँ पानी ले लूँ
तभी माँ ने बंद किया दरवाजा
बोली पूजा अब तो आजा
मैं बोली थोड़ा रुको ज़रा
बारिश को देखूं सुनो ज़रा
छम छम में नाचूँ गाऊं
जोर जोर से शोर मचाऊं
देखो बारिश आज, खुशियाँ ले आयी हैं
गर्मी को दूर भगाएगी, आज ठंड हो जाएगी
ओ बारिश अब रोज ही आना
नित्य बरस के मन हर्षाना
(2) मेरी कल्पना
मन करता हैं उड़ जाऊं मैं भी
आसमान में पंछी बनकर
दुनिया देखूँ इन आँखों से
शोर मचाऊं मै भी तनकर
फिर नन्हे नन्हें कदमों से मैं
चलकर भागूँ और गिर जाऊं
प्यार से माँ उठाये मुझको
और गुस्से से मुँह फुलाऊं
माँ का वो ममता सा आँचल
मुझ पर प्यार लुटायेगा
माँ के आँचल में छुप जाना।
मुझे बहुत याद आएगा
(3) मैं नटखट कान्हा जैसा
ठुमक ठुमक चलु ऐसी चाल
कान्हा के जैसे हो गाल
सिर पर मेरे मोर मुकुट हो
ऊपर से ये घुंघराले बाल
छम छम करता नृत्य करूं
माँ के आँचल में छुपा रहूँ
ढूढ़ें गोपियां मुझको नित दिन
मैं मुँह से गोपी गोपी गोपी कहूँ
लीलाओं से अपनी मैं
कर दूं सबको तंग, बेहाल
सिर पे मेरे मोर मुकुट हो
ऊपर से घुंघराले बाल
(4) प्यारी सखी
आओ सखियों सब खेल रचायें
झूमे नाचे यूँ गीत सुनायें
मन में रखे भाव ख़ुशी का
औऱ एक दूजे की सखियां बन जायें
हरी भरी पेड़ों की डाली
काली कोयल की कूक निराली
हरे भरे पेड़ों को पानी देता
गुनगुनाता बाग का माली
सब देखें और ख़ुश हो जायें
झूमें नाचें और गीत सुनायें
(5) सुनो मेरा सपना
मीठी तान सुनाती कोयल
बौराई थी डालों पर
नज़र पड़ी थी मुझ पर हया की
मेरे घुंघराले बालों पर
ठुमक ठुमक चलती थी चिड़िया
दाना चुगकर लाती थीं
धीरे धीरे से अपने बच्चों को
चुपके से खिलाती थीं
भूल गयी थी दुनिया को मैं
अलबेली सी घटा छायी थी
यह मनोरम दृश्य देखकर
याद मुझे माँ आयी थी
फिर आँखे खुली थी,
उड़ गए थे सपनें
देखें भी थे, क्या
सच में सपनें
आँखे बंद थी तो कितना अच्छा था
लगता मुझको हर सपना सच्चा था
✍️ पूजा राणा
राम गंगा विहार
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
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