हम वासी आज़ाद वतन के।
सोचें क्यों अन्जाम।।
नियम ताक पर रख कर सारे,
वाहन तेज भगाएं।
टकराने वाले हमसे फिर,
अपनी खैर मनायें ।
सही राह दिखलाने की हर,
कोशिश है नाकाम।
चोला ओढ़े सच्चाई का,
साथ झूठ का देते।
गुपचुप अपनी बंजर जेबें,
हरी-भरी कर लेते।
हर मुद्दे का कुछ ही पल में,
करते काम तमाम।
सुर्खी में ही लिपटे रहना,
हमको हरदम भाता।
भूल गए मेहनत से भी है,
अपना कोई नाता।
जिसकी लाठी भैंस उसी की,
जपते सुबहो-शाम।
✍️ प्रो ममता सिंह
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
हार्दिक अभिनंदन
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार
हटाएंबहुत बहुत आभार आपका
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति
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