मंगलवार, 30 अगस्त 2022

मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ मक्खन मुरादाबादी का गीत ...... तर्पण करके पितरों का हम, आश्विन मास कनागत में / मनोयोग से लग जाते हैं त्योहारों के स्वागत में ......


तर्पण करके पितरों का हम

आश्विन मास कनागत में ।

मनोयोग से लग जाते हैं

त्योहारों के स्वागत में ।।


इठला उठते हैं घर-द्वारे

जब पहनें साफ-सफाई ।

घर से विदा दलिद्दर होते

जी भर ले नेग विदाई ।।

फिर भी मन अनमना, सोचता 

रही कमी कुछ लागत में ।


नवरात्र शुभम् पूजा-अर्चन

शुद्ध मनों को कर देते ।

अहंकार हो सभी पराजित

पुरुषोत्तम को बल देते ।।

यहीं राम की लीलाओं का

मिलता मर्म परागत में ।


जगमग होकर दीवाली में

मोती मन के बिखरें सब ।

घर-घर के कोने-कोने भी

उपवन जैसे निखरें जब ।।

गान उभर कर आ बैठे फिर

अपने आप अनाहत में ।


धूम-धाम से देवठान को

देव उठाये जाते हैं ।

गंग घाट पर नहा-नहा कर

आसन देव लगाते हैं ।।

कर्म हमारे तब हैं ,तोले

जाते दिव्य अदालत में ।


अपने-अपने कर्म-धर्म में 

जब-जब दोष भरे देखे ।

शरण यज्ञ की हम पहुंचे हैं

ले, लेकर अपने लेखे ।।

तब कस्तूरी बस जाती है

आकर सोच तथागत में ।

✍️ डॉ. मक्खन मुरादाबादी

 झ-28, नवीन नगर

 काँठ रोड, मुरादाबाद

 मोबाइल:9319086769

2 टिप्‍पणियां:

  1. वाह क्या बात है... बहुत बढ़िया रचना।
    डॉ अशोक रस्तोगी अग्रवाल हाइट्स राजनगर एक्सटेंशन गाजियाबाद

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