शनिवार, 27 अगस्त 2022

मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ पुनीत कुमार की व्यंग्य कविता ...... मैं कौन हूं


मैं थूक कर चाटता हूं

अंधा बनकर

अपनो को ही रेबड़ी बांटता हूं

अपनी और पराई चीज में

कोई भेद नहीं करता हूं

जिस थाली में खाता हूं

छेद उसी में करता हूं


अपना उल्लू सीधा करना

मुझे अच्छे से आता है

मुझे रंग बदलता देख

गिरगिट भी शर्माता है

मैं कभी घड़ियाली

आंसू बहाता हूं

कभी हथेली पर

सरसों जमाता हूं

मुख में राम

बगल में छुरी रखता हूं

कुंभकरण को पीछे छोड़

पांच साल तक सो सकता हूं


जनता रूपी मछली को देख

बगुला भगत की तरह

खड़ा रहता मौन हूं

क्या आप बता सकते हैं

मैं किस ग्रह का वासी हूं,

कौन हूं

वैसे मैं बाहर से

बिल्कुल आपके जैसा हूं

अब तो समझ गए ना

मैं कौन हूं,कैसा हूं


✍️ डॉ पुनीत कुमार

T 2/505 आकाश रेजीडेंसी

आदर्श कॉलोनी रोड

मुरादाबाद 244001

M 9837189600

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