प्राण समर्पित कर दिए, राष्ट्र-धर्म के काज।
सीमा-रेखा की रखी, सेना ने ही लाज।। 1।।
धर्म और मजहब अलग, अलग हमारी जात।
राष्ट्र-धर्म के नाम पर, किंतु एक जज्बात।। 2।।
दिल में ऐसी भावना, भर देना करतार।
जननी जैसा ही रहे, जन्मभूमि से प्यार।। 3।।
भारत भू से प्यार के, किस्से कई हजार।
शत्रु वक्ष पर लिख गयी, राणा की तलवार।। 4।।
भारत भू का भाल है, केसरिया कश्मीर।
नजर हटा लो दुश्मनों, वरना देंगे चीर।।5।।
बिस्मिल से बेटे मिले, भगत सिंह से लाल।
उन्नत जिनसे हो गया, भारत माँ का भाल।। 6।।
खूब बजाओ तालियां,देश हुआ आबाद।
साल पिछत्तर हो गये, हमें हुए आजाद।। 7।।
✍️ त्यागी अशोका कृष्णम्
कुरकावली, संभल
उत्तर प्रदेश, भारत
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