मन- मोहक सुख देने वाली, होती धरती की हरियाली।
जो दुनिया के हर प्राणी के, जीवन की करती रखवाली। ।
ये हरी क्यारियां, घास हरी, इठलाती- बलखाती ऐसे,
मदमस्त हवा के झोंकों से, लहराता हो आँचल जैसे,
खुशबू से तर करती सबको, भर-भर देती मधु की प्याली।
जब पेड़ो पर बैठे पंछी ,मीठी लय में सब गाते हैं,
तो फूलों से लिपटे भौंरे , उनसे सुर-ताल मिलाते हैं,
यह दृश्य देखकर आंखें भी, होती जाती हैं मतवाली।।
मीठे फल लगते पेड़ों पर, जो भूख मिटाते जन-जन की,
रोगों को दूर भगाते हैं, हरते पीड़ाएँ तन-मन की,
सेवा में तत्पर रहते हैं , पत्ते- पत्ते, डाली-डाली।।
हरियाली कारण वर्षा का ,जलवायु विशुध्द बनाती है ,
हर जीव-जंतु को धरती के , माता बनकर सहलाती है ,
सिंचित करती रस से जीवन , बनकर माली यह हरियाली।।
हितकामी जन इस जगती के, सब मिलकर चिंतन-मनन करें,
हरियाली नष्ट न हो पाए , हम ऐसा कोई जतन करें ,
'ओंकार' तभी इस दुनिया में , सब ओर बढ़ेगी खुशहाली।।
✍️ओंकार सिंह 'ओंकार'
1-बी-241 बुद्धि विहार, मझोला,
दिल्ली रोड, मुरादाबाद- 244103
उत्तर प्रदेश, भारत
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें