गुरुवार, 6 अप्रैल 2023

मुरादाबाद के साहित्यकार अशोक विश्नोई की लघुकथा --मौसी का घर


  " अरे आप आ गये सरला ने अपने पति की ओर इशारा करके कहा," आपके साथ रानी भी आई है।

 रानी ने नमस्ते मौसी कह कर सम्बोधित किया।

---ठीक है ठीक है चलो आपने यह अच्छा किया, मैं काम करते - करते थक जाती हूँ यह चौक्का बर्तन कर दिया करेगी मेरा भी काम हल्का हो जायेगा," क्यों बेटी ?"

अब रानी क्या कहे वह मौसी को टेढ़ी निगाह से निहारती रही------।।

        

✍️ अशोक विश्नोई

  

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