गुरुवार, 6 अप्रैल 2023

मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ प्रीति हुंकार की लघुकथा ......सच


संस्था के मुखिया के साथ दुर्व्यवहार होता रहा और किसी को पता तक नहीं कैसे गैर जिम्मेदार लोग हो ....... देखा नहीं तो सुना तो होगा कान तो खुले होंगे ......। "जांच अधिकारी ने सवाल किया ...."।                                                    मैं भी औरों की तरह  मुंह लटकाए गूंगा बहरा बना रहा क्योंकि सच बोलना उस समय किसी गुनाह से कम न था ।                                                                               मन करता है साले सबको सस्पैंड करूं ........ताकि लापरवाही करना भूल जाएं।अधिकारी बड़बड़ाते हुए चला गया और सच अब भी कही दबा पड़ा था ।


✍️ डॉ प्रीति  हुंकार 

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

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