मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य संगम के तत्वावधान में मिलन विहार स्थित आकांक्षा विद्यापीठ इण्टर कॉलेज में रविवार दो अप्रैल 2023 को मासिक काव्य-गोष्ठी का आयोजन किया गया। राजीव प्रखर द्वारा प्रस्तुत माँ शारदे की वंदना से आरंभ एवं उनके संचालन में हुए इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए रामदत्त द्विवेदी ने कहा....
दृष्टिकोण यदि खुद का बदले, तो सब बदला हुआ मिलेगा।
जिस रंग का चश्मा पहनेंगे, बाहर वह ही रंग दिखेगा।
मुख्य अतिथि अशोक विश्नोई ने कहा .....
मन में सुन्दर स्वप्न सजाएं।
हर असमंजस दूर भगाएं।
घोर निराशा के तम में सब,
आओ! आशा दीप जलाएं।
विशिष्ट अतिथि राजीव सक्सेना ने सामाजिक विषमता पर कड़ा प्रहार करते हुए कहा -
सीपी बनने की कोशिश में
टूट गये घोंघों के खोल
खुल गयी नकलीपन की पोल
विशिष्ट अतिथि ओंकार सिंह ओंकार ने कहा -
नफ़रत को मुहब्बत में बदलने नहीं देते।
हैं कौन जो दुनिया को संभलने नहीं देते।
लोगों ने बिछाए हैं हर इक राह में कांटे,
बेख़ौफ़ मुसाफिर को जो चलने नहीं देते।।
राजीव प्रखर अपनी इन पंक्तियों के माध्यम से सभी को बचपन की ओर ले गये -
दूर सभी झगड़ों से देखो, बचपन कितना प्यारा है।
भीतर इसके कल-कल करती, मृदु भावों की धारा है।
तेरा-मेरा-इसका-उसका, यह बेचारा क्या जाने।
इसकी निश्छलता से पुलकित, हर घर-ऑंगन-द्वारा है।
रामेश्वर प्रसाद वशिष्ठ ने कहा -
एक ऋण ही मिला, जन्म के नाम पर।
हर हवेली चढ़ी है, आज नीलाम पर।।
अशोक विद्रोही ने कहा -
न कोई दौलतें चाहूं, न कोई शोहरतें चाहूं।
मुझे प्राणों से प्यारा है, वतन के गीत मैं गाऊं।।
डॉ मनोज रस्तोगी अपने व्यंग्यात्मक अंदाज़ चहके -
जैसे तैसे बीत गए पांच साल रे भैया।
फिर लगा बिछने वादों का जाल रे भैया।
आवाज में भरी मिठास, चेहरे पर मासूमियत
भेड़ियों ने पहनी गाय की खाल रे भैया।
नकुल त्यागी ने कहा -
सभी भारत के वासी जो सब आपस में भाई हैं।
मजहब धर्म और जात बिरादरी हमने ही तो बनाई है।
योगेन्द्र वर्मा व्योम की रचना ने भी सभी के हृदय को स्पर्श किया -
न जाने किस भँवर में ज़िन्दगी है।
ठहाके मौन हैं ग़ायब हँसी है।
दुआएँ अब असर करती नहीं क्यों,
हमारी ही कहीं कोई कमी है।
मनोज मनु ने श्रीराम से प्रार्थना करते हुए कहा -
श्री राम दयालु दया करिए हरिए हर दोष हमारा प्रभो ,
भव कूप तमो पसरो हिय में हरिए तम घोर हमारा प्रभो
जितेन्द्र कुमार जौली ने हिन्दी को नमन किया -
मेरा भारत देश महान, जय हिन्दी, जय हिन्दुस्तान।
हम सब हैं इसकी संतान, जय हिन्दी, जय हिन्दुस्तान।
दुष्यंत बाबा की अभिव्यक्ति इस प्रकार रही -
सैनिक लड़ता सीमाओ पर, प्रिया का यौवन जाता है करती करुण विलाप ममता, आँचल सूना हो जाता है।
इंजीनियर राशिद हुसैन बोले -
हां मैं इंसान हूॅं, मैं परेशान हूॅं।
ज़िन्दगी तुझे देखकर हैरान हूॅं।
पदम 'बेचैन' ने संदेश दिया -
कहा कहियों ऐसो नर परे जो वियोग में।
योग में हो ध्यान मग्न, कृष्ण लग्यो रट है।।
संस्था अध्यक्ष रामदत्त द्विवेदी द्वारा आभार-अभिव्यक्ति के साथ कार्यक्रम समापन पर पहुॅंचा।
:::::::प्रस्तुति;;;;;;
जितेंद्र कुमार जौली
महा सचिव
हिन्दी साहित्य संगम
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
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