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....पिता को लेकर रागनी अपने घर पहुंची .....रागिनी के कानों में अभी तक अपनी सौतेली मां के शब्द "अगर ज्यादा परेशानी है तो अपने बाप को अपने साथ ले जाओ हमसे सेवा नहीं होती."गूंज रहे थे.......
......आसाराम ने अपनी सारी जमीन जायदाद दूसरी पत्नी से जन्मे अपने दोनों बेटों के नाम कर दी थी उनकी दूसरी पत्नी व बेटों ने पति को बाहर के एक कमरे में बदहाल हालत में छोड़ दिया था रागिनी उनकी पहली पत्नी की संतान थी जो शहर में अपने पति के साथ रहती थी उसकी शादी में सौतेली मां ने कुछ भी नहीं दिया था यहां तक की रागनी के लिए उसकी मां द्वारा छोड़े गए गहने तक न देकर अपनी दोनों बहुओं को चढ़ा दिए थे...और उससे नाता तोड़ लिया था...परंतु जैसे ही रागनी को पता लगा पिता की हालत बीमारी के कारण बहुत खराब है मां बीमारी में दवा एवं खाना भी ठीक से नहीं दे रही है तो उससे न रहा गया वह उन्हें देखने गांव पहुंची मां ने झट कह दिया" ज्यादा लाड़ है तो इन्हें अपने साथ ले जाओ हमसे नहीं होती इनकी सेवा....! "
....आशाराम को बड़े चैन का अनुभव हो रहा था परंतु उसकी आखों में पश्चाताप एवं विवशता के आंसू थे...... !
✍️ अशोक विद्रोही
412 प्रकाश नगर
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
मो 82 188 25 541
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