वह भागती -दौडती, चीखती-चिल्लाती पुलिस स्टेशन के गेट तक पहुंची ही थी, कि मोटर साईकिल से पीछा करते गुण्डे ने आकर उसकी कमर और कनपटी पर दो फायर झोंक दिये और फरार हो गया।वह वहीं पर औंधे मुंह गिर पडी । उसके एक हाथ में दरख्वास्त थी। खून से लथ-पथ उसका शरीर निढ़ाल पडा था। भीड इकट्ठा हो गई । भीड से आवाज आई । बेचारी कई दिन से थाने के चक्कर काट रही थी।कोई सुनने वाला ही नहीं था।
चलो अब ईश्वर ने उसकी सुन ली। उसे इस नरक के जंजाल से अपने पास बुला लिया। गुण्डों से मानो वह भी डरता हो। इसलिए ,उनका कुछ न बिगाड़ पाया। उस निर्दोष महिला को मुक्ति दे दी।
✍️ धनसिंह 'धनेन्द्र'
चन्द्र नगर, मुरादाबाद
उत्तर प्रदेश, भारत
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