"ट्रीन ...ट्रीन ...ट्रीन ...!"
"अरे जगत फोन उठा बेटा ...।"माँ रसोई में से बोलीं
"हां ...हेल्लो ...अच्छा शुभि ..हाँ लायब्रेरी से ले लेना ...ठीक है ...ठीक है ।"
"किसका फोन है बेटा ?"
"माँ वो शुभि का था ...पूँछ रही थी कौन कौन सी बुक्स ले लूँ ?"जगत ने मोबाइल टेबल पर रखते हुए कहा ।
"भैया कह रही होगी !"निकिता जगत की बहिन ने व्यंगात्मक लहजे में कहा ।
"हाँ तो क्या हुआ ?"जगत ने उसके पास बैठते हुए कहा ।
"जगत अगर तुम यूँ ही हर लड़की के भाई बनते गए न तो देख लेना तुम्हारी तो शादी होने से रही ।
"चुप कर निकिता क्या बोलती रहती है ?"माँ ने निकिता को डाँटा ।
"बोलने दो माँ इसको ।"जगत ने हँसकर कहा ।
"तुमको बुरा नहीं लगता ...कॉलेज में 'अड़ोस पड़ोस में रिश्तेदारी में सब लड़कियाँ तुमको भैया भैया कहकर पुकारती हैं ।"निकिता ने फिर मुँह बनाया ।
"मैं उनकी हेल्प करता हूँ कह देती हैं मुझे अच्छा लगता है ।"जगत ने चाय का घूँट भरते हुए कहा ।
माँ रसोई में खड़ी मुस्करा रहीं थीं ।
"तो तुमतो क्वारे ही रहोगे ।"निकिता ने जगत को फिर चिढ़ाया ।
"ठीक है ।"जगत ने मुस्कराते हुए कहा ।
"क्या ठीक है ...अरे डाँट दिया करो लड़कियों को जब तुमसे भैया कहें ।"
"तुझे डांटता हूँ क्या बता ?सब में मुझे तू ही दिखती है । रही शादी की बात तो शादी तो एक लड़की से होगी और प्यार भी एक से ही फिर सब पर ट्राई मारकर खुद की आत्मा को मैला क्यों करूं ?"जगत ने निकिता से कहा तो निकिता को अपने भाई और माँ को अपने बेटे को दिए संस्कारों पर गर्व हो उठा ।
✍️ राशि सिंह
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश , भारत
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