आज प्रियांश का परीक्षाफल मिलना है। निधि बन-संवर कर अपने पति के साथ स्कूल पहुंच गई। प्रियांश ने शुरु से एल०के०जी० और यू०के०जी० में अपनी क्लास में सर्वोच्च स्थान प्रप्त किया था। इस बार भी उसे पूर्ण विश्वास था कि उसका प्रियांश ही क्लास में सर्वोच्च स्थान पर होगा।
स्कूल के खुले मंच पर पर मैडल व रिजल्ट देने के लिए प्रधानाचार्या ने जब प्रियांश की जगह किसी और बच्चे का नाम पुकारा तो निधि का चेहरा उतर गया । तालियों की गडगडाहट उसके कानों को चुभ रही थी। इस बार स्कूल की एक अध्यापिका के बेटे ने सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया था। उसने सोचा उसका प्रियांश दूसरे नम्बर पर रह गया। लेकिन जब न तो दूसरे और न ही तीसरे नम्बर पर प्रियांश का नाम लिया गया तब निधि ब्याकुल हो गई और रोने लगी। वह स्कूल की प्रिंसपल और क्लास टीचर को खूब भला-बुरा कहती रही। उसने पक्षपात का आरोप लगाते हुए खूब शौर मचाया। पति ने उसे किसी तरह सम्हाला। स्कूल की छुट्टी हो चुकी थी। अधिकांश अभिभावक अपने बच्चों को लेकर जा चुके थे। निधि अभी भी कुर्सी में निढ़़ाल पडी थी। वह निराशा के सदमे से उभर नहीं पाई। उसका पति भी कम उदास और परेशान नहीं था लेकिन उन दोनों का लाडला प्रियांश स्कूल में लगे झूले पर ऊंची-ऊंची पेंगे लगाने में मस्त था ।
✍️ धनसिंह 'धनेन्द्र'
श्रीकृष्ण कालोनी, चन्द्र नगर
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें