



डॉ मनोज रस्तोगी
8,जीलाल स्ट्रीट, मुरादाबाद 244001,उत्तर प्रदेश,भारत मोबाइल फोन नम्बर 9456687822




डॉ मनोज रस्तोगी
8,जीलाल स्ट्रीट, मुरादाबाद 244001,उत्तर प्रदेश,भारत मोबाइल फोन नम्बर 9456687822
मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था राष्ट्रभाषा हिंदी प्रचार समिति की मासिक काव्य गोष्ठी 14 अक्टूबर 2020 को जंभेश्वर धर्मशाला लाइन पार मुरादाबाद में संपन्न हुई । अध्यक्षता योगेंद्र पाल विश्नोई ने की। मुख्य अतिथि रघुराज सिंह निश्चल तथा विशिष्ट अतिथि केपी सरल थे। सरस्वती वंदना रश्मि प्रभाकर ने प्रस्तुत की तथा मंच संचालन अशोक विद्रोही ने किया।
गोष्ठी में योगेंद्र पाल विश्नोई ने कहा-
जन्म मृत्यु आकर सिरहाने खड़ी
किन्तु जीवन का संघर्ष जारी रहेगा
रामेश्वर प्रसाद वशिष्ठ ने पढ़ा-
पंचशील के रथ से पहले, तुमने हाथ मिलाया।
विश्वास घात कर तुमने , अपने उर पर तीर चलाया।।
अशोक विद्रोही ने ओजपूर्ण कविता पढ़ी-
हम तेरे वीर जियाले मां, आगे ही बढ़ते जायेंगे।
एक रोज परम पद पर, माता तुझको बैठायेंगे ।।
रश्मि प्रभाकर ने कहा-
आंखों में उमड़े सपनों की,
जब हृदय तंत्र से ठनती है ।
तब जाकर निर्भीक लेखनी
से एक कविता बनती है।।
वरिष्ठ कवि रघुराज सिंह निश्चल का कहना था -–
कहां तक चुप रहूं, कुछ भी न बोलूं।
असत सत को निगलता जा रहा है।।
प्रशांत मिश्र ने कहा-
नैनो के नीर से जख्मों का
दर्द कम नहीं होता।
केपी सरल ने पढ़ा-
नीड़ छोड़ शावक उड़े ,सभी मोह विसराय
काया त्यागे जीव जो ,वापस कभी न आय।।
अरविंद कुमार शर्मा आनंद की ग़ज़ल थी----
जिंदगी रंग हर पल बदलती रही।
सात ग़म के ख़ुशी रोज़ चलती रही।।
अंत में योगेंद्र पाल विश्नोई ने आभार अभिव्यक्त किया।











::::::::::प्रस्तुति::::::
अशोक विद्रोही
उपाध्यक्ष
राष्ट्रभाषा हिंदी प्रचार समिति मुरादाबाद

शायद............बदनाम हुआ रिश्ता................ पवित्र रिश्ता बन चुका था.................
✍️ सुभाष रावत , बरेली

संध्या की आँखे और भी झुक गयी,वह कोशिश करके भी उन्हें नहीं उठा पायी।प्रसाद सर थोड़ा संयत हुए और गहरी साँस भर कर बोले, "बेटा.... तुम्हारा ड्रिल इतना अच्छा है।पर कॉन्फिडेंस क्यों लेक है?तुम सामने आँख उठाकर मार्च क्यों नहीं करती हो?"
लेकिन संध्या के कानों में तो उसके दादा जी की आवाज गूंँज रही थी,"आँखें नीची रखा कर छोरी।किसी दिन चिमटे से निकाल दूँगा"
✍️हेमा तिवारी भट्ट,मुरादाबाद

"ठीक है जी" कहते हुए शाकिर मियां की बेगम ने सर पर पड़ा दुपट्टा ठीक करते हुए स्वीकृति में सर हिलाया।
बराबर के कमरे में खड़ी 13 साल की फाजला माँ बाप की बातें सुन रही थी लाइट चले जाने पर वह कमरे से बाहर आई तो " उफ बड़ी गर्मी है।" कहते हुए शाकिर मियां अपना कुर्ता उतारकर खूंटी पर टांग रहे थे थोड़ी ही देर में गर्मी बढ़ी तो उन्होंने अपना तहमद भी उतारकर अलग रख दिया अब वह अंडर वियर और बनियान में लेटे हाथ से पंखा झल रहे थे जबकि भीषण गर्मी में फाजला की अम्मी सर से दुपटटा ओढे हुए घर के काम काज निपटाने में लगी हुई थी फाजला कभी बाप की ओर देखती तो कभी अम्मी की ओर देखकर अपने आप से सवाल कर रही थी "क्या मर्दो को ही गर्मी लगती है ?"
कमाल ज़ैदी "वफ़ा", सिरसी( सम्भल)
मोबाइल फोन नम्बर --- 9456031926

हाँ सम्हलने वालों की गिनती अवश्य करते रहते हैं -------!!
✍️ अशोक विश्नोई,मुरादाबाद

दिनेश ने साझा कविता संग्रह अपने हाथ में लिया। कुछु पृष्ठ पलटे और धीरे से मुस्कुराते हुए कहा "बात पैसों की थी। मेरे पास धन का अभाव था ,अन्यथा संपादक मंडल में भी मेरा नाम छप जाता !"
रमेश का चेहरा यह सुनकर मुरझा गया, क्योंकि वास्तव में साझा कविता संग्रह में प्रकाशन का आधार पैसा था तथा सचमुच संपादक मंडल में उन लोगों के नाम शामिल किए जाने का प्रस्ताव था ,जो अधिक धनराशि देने के लिए तैयार थे ।
✍️ रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

वह गर्दन झुकाए चुपचाप बैठा था कई उसी जैसे किसान आए और अपने अनाज का मोलभाव आडतिए से करके चले गए उनके चेहरों पर बेबसी और आडतिए के चेहरे पर ऎसे भाव थे जैसे कि उनका अनाज सस्ते में खरीद कर एहसान कर रहा हो.
"अरे बड़े गंदे गेहूं हैं.... इनका तो दो रुपया कम ही लगेगा l" उस आडतिए ने मुट्ठी में गेहूं भरा और मूँह बनाते हुए तंबाकू की पीक मार दी एक तरफ l
"लेकिन बाबूजी देखो न कैसे मोती से गेहूं..... l" उसने अपने गेहूं की तरफ प्रेमभाव से देखते हुए कहा जैसे माता पिता अपनी संतान की तरफ देखती हैं l
"नहीं बेचना क्या? जाओ यहां से समय बर्बाद करने आ गया l" आडतिया डपटते हुए बोलाl
"नहीं बाबूजी बेचना है बेचना है उसकी आँखों में बेटी का विवाह बेटे की स्कूल फीस घर की टूटी छत और उसकी पूरी दुनियाँ घूम गई.
" और हाँ एक कुंतल पर एक किलो छीज कटेगी... वो तोलने में कम हो जाता है न l"उसने फिर बेशर्मी से कहा l
"लेकिन बाबूजी रहेगा तो आपके पास ही जो कम होगा...!"
"तू जा यहां से अब.... l" आडतिए ने फिर से झिड़का l
"ठीक है l" कहते हुए उसने अपनी बैलगाड़ी मोड़ दी और उसके पीछे औरों ने भी अब भाव दोनों बदलने वाले थे चेहरों के भी और अनाज के भी l
राशि सिंह , मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश
(

शकुन्तला ने डांट लगाते हुए अपने छोटे बेटे राहुल से कहा।राहुल ने अपने बड़े भाई विजय,जो कि पढ़ाई पूरी करके तीन साल से नौकरी ढूंढ रहा था,की ओर देखा,फिर मां से बोला "ठीक है,आप मुझे पकोड़े बनाना सिखा दीजिए "
✍️ डाॅ पुनीत कुमार
T -2/505, आकाश रेजिडेंसी
मधुवनी पार्क के पीछे
मुरादाबाद 244001

आगमन की तैयारी वही कर रहा था ।उसने सुना था कि नए ज़िलाअधिकारी सख़्त है इसलिए वह पूरी कोशिश कर रहा था कि कोई कमी न रह जाए।
सब तैयारी हो गयी थी.........
ज़िलाधिकारी की गाड़ी कलेक्ट्रेट पर आ गयी थी ....
रोहित फूलों का बुके लेकर गाड़ी की ओर दौड़ा ।
‘योर मोस्ट वेलकम सर ’ रोहित ने कहा ।
जैसे ही उसने ज़िलाधिकारी को देखा ,उसे उनका चेहरा जाना पहचाना लगा.....
वह स्मृतियों में खो गया .....रमेश ...क्या ये रमेश है....जो सरकारी स्कूल में पढ़ता था जिसकी माँ हमारे यहाँ काम करने आती थी और जो मेरी कॉन्वेंट स्कूल की पुरानी किताब भी पढ़ने के लिए ले जाता था ......नहींं ,नहींं ....ऐसा नही हो सकता.......
अचानक उसके कंधे पर किसी ने हाथ रखा ,वह चौक गया। ज़िलाधिकारी महोदय.........जी... मैं वही रमेश हूँ ,रोहित जी ...सरकारी स्कूल में पढ़ने वाला .....आपकी किताब .........
कैसे है आप ,बहुत सालों बाद मुलाक़ात हुई......
रोहित अभी तक पुरानी स्मृतियों में खोया था.........
✍️ प्रीति चौधरी, गजरौला, अमरोहा

पोते को प्यार से गोद में हिलाते हुए रामनाथ अभी उसे पुचकार ही रहे थे कि पोते ने धार छोड़ दी जो उनके चेहरे और कपड़ों को भिगो गयी। अरे रे रे वाह वाह, मजा आ गया, तालियां पीटते हुए सब हँसने लगे। रामनाथ बोले, अरे कुछ नहीं; ये तो प्रसाद है जो दादी बाबा को मिलता ही है।
तभी अंदर के कमरे से पिताजी की आवाज आयी: बेटा जरा मुझे सहारा दे दो, बाथरूम जाना है।
अभी आया पिताजी । लेकिन जब तक पिताजी को वह बाथरुम तक लेकर जाते तब तक उनका पाजामा गीला हो गया था। यह देखते ही रामनाथ झुंझला पड़े: ये क्या पिताजी, थोड़ी देर भी नहीं रुक सकते थे। फिर से पाजामा गीला कर दिया । ऊपर से पूरे कपड़ों में बदबू अलग से भर गयी।
पिताजी लाचारी से नजरें झुकाये रहे।
✍️श्रीकृष्ण शुक्ल, MMIG-69, रामगंगा विहार, मुरादाबाद ।
मोबाइल नं• 9456641400

असल में मैं और मेरी पत्नी मेरे बीमार चाचा जी की मिजाज पुर्शी के लिये दिल्ली आये थे, साथ ही हमारे जहन में अपनी बेटी अदिती अहूजा के लिये भविष्य में अच्छी कोचिंग, जोकि उसे मेडिकल प्रवेश परीक्षा में सहायक हो सके, का भी पता करने का था। ज्यादातर अपने मित्रगणों से सलाह के पश्चात मैं और मेरी पत्नि इस नतीजे पर पहुंचे कि यह इंस्टीट्यूट मेडिकल कोचिंग के लिये बेहतर विकल्प है।
हम मेडिकल कोचिंग इंस्टीट्यूट की प्रीत विहार की शाखा में पंहुचकर वहां के अधिकारी से मिले तब हमें उन्होंने यह बताया कि मेडिकल प्रवेश परीक्षा की कोचिंग वह दसवीं क्लास के बाद करवाते हैं तथा दसवीं क्लास के दौरान वह एक स्कालरशिप परीक्षा का आयोजन करते हैं, जिसका नाम एन्थे हैं। उन्होंने हमसे सितम्बर माह में सम्पर्क करने को कहा जब अदिती दसवीं में हो तब। यह जानकारी हासिल कर हम लारेंस रोड स्थित अपने चाचा जी के आवास पर उनका हाल जानने पहुंच गये। इस बात को करीब एक वर्ष बीतने को था अदिती दसवीं में आ चुकी थी। हमें मेडिकल कोचिंग इंस्टीट्यूट की एन्थे परीक्षा की बात ध्यान थी। परीक्षा का फार्म कैसे प्राप्त हो, यह बड़ी समस्या थी, तब हमारी बहन आरती डोगरा पत्नि श्री राजेश डोगरा निवासी चण्डीगढ़ ने वहां स्थित कोचिंग इंस्टीट्यूट की शाखा से ऐन्थे का फार्म प्राप्त किया व स्पीड पोस्ट से हमें भेज दिया। अब ऐन्थे का फार्म भर कर हमें जमा करना था इसके लिये हमने कोचिंग इंस्टीट्यूट की मुख्य शाखा में फोन पर जानकारी हासिल की तो पता चला कि फार्म आप किसी भी मेडिकल कोचिंग इंस्टीट्यूट की शाखा में जमा करवा सकते हैं। हमारे निकटतम मेडिकल कोचिंग इंस्टीट्यूट की शाखा मेरठ में थी अतः हमने फार्म मेरठ स्थित अपने मौसेरे भाई श्री राजेश अरोरा जी को स्पीड पोस्ट कर दिया, श्री अरोरा जी ने स्वंय कोचिंग इंस्टीट्यूट के ऑफिस जाकर ऐन्थे का फार्म जमा किया।
दिसम्बर 2015 में ऐन्थे की परीक्षा हुई जिसका परीक्षा केन्द्र मेरठ ही था, मैं और मेरे मौसेरे भाई श्री राजेश जी अदिती को लेकर परीक्षा केन्द्र पहुंचे व 3 घण्टे परीक्षा के दौरान वही बाहर खड़े होकर उसका इंतजार करने लगे। परीक्षा के उपरान्त अदिती ने बताया कि परीक्षा अच्छी हुई है। तत्पश्चात मैं और अदिती बिलारी बापस आ गये व अदिती अपनी दसवीं की बोर्ड परीक्षा की तैयारी में जुट गई।
जनवरी 10 या 15 2016 की बात थी मैं मोबाइल में नेट चला रहा था दिमाग में आया चलो अदिती ने जो एन्थे की परीक्षा दी थी उसे जांच लेते हैं कि परीक्षा फल कब आयेगा। मैंने मेडिकल कोचिंग इंस्टीट्यूट की साइट चैक करी तो पता चला कि एन्थे का परीक्षाफल तो आ चुका है, मैं फौरन भागा-भागा अपने कमरे में आया व अदिती का प्रवेश पत्र निकाल कर उसका रोल नम्बर देखा व फिर दोबारा से मेडिकल कोचिंग इंस्टीट्यूट की बेवसाइट चेक करी तो एन्थे का रिजल्ट मेरे सामने था, मैं पैनी नजरों से अदिती का रोल नम्बर ढूढ रहा था, मैंने पहले 50% , 60% , 70% , 80% स्कालरशिप कॉलमों में अदिती का रोल नं0 देखा परन्तु मुझे उसका रोल नम्बर कही नहीं मिला। काफी खोजबीन करने पर मुझे ज्ञात हुआ कि रोल नं0 डालकर भी सीधा परीक्षाफल प्राप्त किया जा सकता है। मैंने अदिती का रोल नम्बर इन्स्टीट्यूट की साइट में डाला तो उसका परीक्षाफल देखकर मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई। अदिती को 100% स्कालरशिप मिला था व उसकी ऑल इण्डिया रैक ढेड लाख बच्चों में से 121रैंक थी। इन्स्टीट्यूट में 100% स्कालरशिप का अर्थ करीब 3.50 लाख रूपये की छूट थी। घर में खुशी का माहौल था जैसे हमने आधा मैदान मार लिया था। मैने मेडिकल कोचिंग के मुख्य शाखा दिल्ली में फोन कर अदिती का परीक्षाफल कन्फर्म किया तब उन्होंने मुझे बताया कि अदिती को 100% स्कालरशिप मिला है व अदिती को इस्टीट्यूट में एक रूपया भी नहीं देना है । बल्कि वह 11वी व 12वी में दो वर्षों तक अदिती को मेडिकल प्रवेश परीक्षा की कोचिंग करवायेगा। इसके साथ ही उन्होनें हमें पूरे भारत वर्ष में कोचिंग की किसी भी शाखा में फ्री (निशुल्क) कोचिंग का ऑफर दिया। मैंने उनसे सोचने के लिये कुछ वक्त मांगा कि कोचिंग कहा करवानी है, उन्होंने हमें 15-20 दिनों का वक्त दिया और कहा आप हमें सोच समझकर बता दें8। घर के सभी लोग अदिती के स्कूल से घर लौटने का इंतजार करने लगे ताकि उसे उसकी उपलब्धी से अवगत करा सके। अदिती के स्कूल से आते ही दादा, दादी, मम्मी, भाई पार्थ सबने उसे गले से लगा लिया व 100% स्कालरशिप व पूरे भारत में कहीं भी मेडिकल कोचिंग की बात बताई। अदिती ने अपने चिर परिचित अंदाज में कह दिया पापा वह पहले 10 की बोर्ड परीक्षा की तैयारी करेगी,
परीक्षा के बाद ही मेडिकल कोचिंग का सोचेगी। अब घर में मंथन शुरू हुआ कि अदिती कोचिंग कहा करेगी। सबसे बड़ी मुश्किल यह थी कि अदिती 10th डी०पी०एस०, मुरादाबाद से कर रही थी व हमारा 12वी भी वहीं से कराने का इरादा था। पता यह चला कि कोचिंग का समय सुबह 8 बजे से दोपहर 2.30 बजे तक है, तो अदिती अपनी 11/12वी की पढ़ाई कैसे करेगी। कुछ मित्रो ने सलाह दी कि डमी एडमीशन कराकर कोचिंग करा सकते हैं। किन्तु इसके लिये मन नहीं माना। अपनी दुविधा मैंने इन्स्टीट्यूट की मुख्य शाखा दिल्ली में फोन करके बताई कि हमारा परिवार अदिती को दिल्ली की साउथ एक्स शाखा में कोचिंग कराना चाहता है, किन्तु डी0पी0एस0 मुरादाबाद में भी एडमीशन बरकरार रखकर 11°/12 वी करवाना चाहते हैं, यह कैसे सम्भव होगा। हमारी दुविधा को इंस्टीट्यूट वालो ने समझा व हमें यह सलाह दी कि वह वीकेन्ड क्लास भी कोचिंग कराते है। उन्होने हमसे कहा कि आप डी0पी0एस0 मुरादाबाद में 11वी प्रवेश करा के सोमवार से शुक्रवार तक अदिती को पढ़ाकर शनिवार व रविवार को वीकेंड क्लासेस साउथ एक्स, दिल्ली शाखा में ज्वाइन करा सकते हैं। साथ ही उन्होनें यह भी कहा यह काम मुश्किल जरूर है लेकिन असम्भव नहीं है। मुझे उनकी वीकेंड क्लास वाली बात पसन्द आई व परिवार, मित्रों, अदिती को यकीन दिलाकर कि यही हमारे लिये सही है ,मैंने जनवरी 2016 के अन्तिम सप्ताह स्वंय जाकर इन्स्टीट्यूट की साउथ एक्स शाखा में अदिती का रजिस्ट्रेशन करा दिया। उन्होनें हमें मार्च 2016 की अन्तिम सप्ताह से वीकेंड क्लास शुरू होने की बात कहीं व समय से आने का निर्देश दिया।
मार्च 2016 से अन्तिम सप्ताह में अदिती की वीकेंड क्लासेस शुरू हो गई, मैं और अदिती प्रत्येक शुक्रवार शाम 4.30 बजे बिलारी से बस से निकलते 5.15 पर कोहिनूर चौराहा, मुरादाबाद पहुंचकर 5.30 बजे एसी0 बस दिल्ली जाने वाली पकड़ लेते थे, एसी0 बस ठीक रात्री 9 बजे कौशम्बी (दिल्ली) बस स्डेण्ड पहुंच जाती थी, वहां से साउथ एक्स, दिल्ली का आटो पकड़कर आर0के0 लौज पंहुच जाते थे। शनिवार सुबह 8 बजे अदिती कोचिंग क्लास चली जाती थी और मैं सुबह 9.30 बजे तैयार होकर चांदनी चौक, भागीरथ पैलेस सर्जीकल मार्केट चला जाता था। दोपहर 2.30 बजे अदिती की क्लास छूटती थी मैं भी 2.30 बजे तक सर्जिकल मार्केट से लौट आ जाता था। इसके बाद हम फोन पर बंगाली स्वीट को आडर देकर खाना मंगवाकर खाते थे। शाम 4.30 बजे तक आराम कर अदिती अपनी पढ़ाई में लग जाती , मैं भी कुछ किताब पड़ने या लिखने में लग जाता। रात्री 9.30 बजे मैं मैकडोनाल्ड से अदिती के लिये बर्गर आदि लाकर देता व कुछ हल्का फुल्का खुद खाकर 10 बजे तक सो जाता था। अदिती 12 या 1 बजे तक पढ़ती रहती थी। व रविवार सुबह 8 बजे उठकर कोचिंग क्लास चली जाती। रविवार के दिन में सुबह 11 बजे तक तैयार होकर कमरा खाली कर देता था व सारा सामान आर0के0 लौज के रिस्पशन पर रखकर, सर्जिकल सामान की सप्लाई के लिये निकट के मार्केट जैसे, कोटला, लाजपतनगर, आईएनए आदि चला जाता था। करीब 2.15 बजे दोपहर तक मार्केट से वापस आकर लौज से सारा सामान उठाकर मैं इस्टीट्यूट के बाहर अदिती के आने का इंतजार करता व ठीक दोपहर 2.30 बजे जब उसकी छुट्टी होती तो हम आटो से कौशम्बी बस स्टेण्ड आ जाते, वहां हम 3.30 या 4 बजे शाम वाली एसी बस से मुरादाबाद आ जाते, फिर मुरादाबाद से बिलारी की बस पकड़ कर रात्रि करीब 9 या 10 बजे तक बिलारी पहुंचते थे। ऐसा रूटीन था हमारा शुक्रवार से रविवार के मध्य और ऐसा रूटीन अप्रेल 2016 से सितम्बर 2016 तक लगातार चला। हमारे कई मित्र जब इस रूटीन को सुनते तो ताजुब्ब करते थे और कहते थे कि आपने बहुत मुश्किल राह चुन ली है, मगर मुझे गीता की उस श्लोक का स्मरण था जिसका अर्थ है "कर्म कर फल की चिन्ता मत कर" सितम्बर 2016 तक हम हर सप्ताह दिल्ली आते रहे व अदिती की पढ़ाई भी अच्छी चल रही थी। इस्टीट्यूट में होने वाले टेस्टों में अदिती अच्छा प्रदर्शन कर रही थी यह देखकर मेरी भी हिम्मत बढ़ती रही।
अचानक एक दिन सितम्बर 2016 के अन्तिम सप्ताह की बात है, अदिती घर में एक कमरे में लाइट बंद करके बैठी हुई थी। मैंने लाइट खोली तो देखा अदिती रो रही थी, मैंने अपनी पत्निी डा0 सोनिया आहूजा व माता जी को बुलाया व अदिती से रोने का कारण पूछां, अदिती ने रोते हुये कहा-पापा मैं बहुत थक जाती हूं व 11वी की पढ़ाई भी मैं ढंग से नहीं कर पा रही हूं। अदिती की बात सुनकर घर के सभी लोग स्तम्भ रह गये, लेकिन हमें अदिती की भावनओं को भी समझना था अतः हमने अदिती का पक्ष लेते हुये उसे समझाया कि हम सब उसके साथ वह अपनी पढ़ाई सम्बन्धी निर्णय लेने के लिये स्वतन्त्र हैं।इसके बाद सितम्बर 2016 से हमनें दिल्ली कोचिंग की शाखा में जाना बन्द कर दिया। इधर अदिती भी अपनी 11वी की पढ़ाई में व्यस्त हो गई, दो तीन सप्ताह इस्टीट्यूट न जाने की बजह से हमें वहा से बार-बार फोन आने लगे कि आप क्यों नहीं आ रहे है। अदिती को एक माह लगातार 11वी की पढ़ाई मुरादाबाद करने के बाद अपनी भूल का अहसास हुआ व एक दिन वो मेरे व सोनिया के पास आकर बोली पापा मैं कोचिंग पुनः शुरू करना चाहती हूं। हमारी खुशी का ठिकाना न था, क्योंकि अदिती ने स्वंय कोचिंग करने को उसी शक्रवार से कोचिंग शुरू करने को कहा, हमने उससे पूछा कि पिछले एक माह में जो कोचिंग का नुकसान हुआ है उसे वह किस प्रकार पूरा करेगी। अदिती ने कहा मैं दिल्ली से मुरादाबाद जाने वाली बस में चार घण्टे मोबाइल पर यूट्यूब क्लास ले लेगी व रात को भी देर तक पढ़कर अपने एक माह के नुकसान की भरपाई कर लेगी। हमें अदिती पर पूर्ण विश्वास था और हमने उसकी कोचिंग पुनः चालू करवा दी। उसके बाद चाहे एक दिन के लिये भी क्लास लगी अदिती ने कभी छुट्टी नहीं की।
इस प्रकार हम अक्टूबर 2017 तक प्रत्येक शुक्रवार को दिल्ली आते रहे कभी अदिती की मम्मी व कभी दादी भी समय-समय पर उत्साहवर्धन के लिये उसके साथ दिल्ली आती रही।
अक्टूबर 2017 तक अदिती ने अपनी कोचिंग क्लास मे कक्षा 11 व 12* का पूरा कोर्स कर लिया उसके बाद मेडिकल कोचिंग इस्टीट्यूट की यह नियम था कि वह 11th का कोर्स दोबारा शुरू कर देते थे। अदिती ने हमसे कहा कि उसने 11 व 12* का कार्स अच्छे से कर लिया है। फिर 11th का कोर्स दोबारा करने के लिये वीकेंड पर आना जरूरी नहीं "मैं अच्छे से घर पर ही तैयारी कर पाउगीं।" हमने इस बार भी अदिती के निर्णय को प्रथमिकता दी व अक्टूबर 2017 से वीकेंड क्लास में आना बंद कर दिया।
अब अदिती ने घर पर ही तैयारी शुरू कर दी व अक्टूबर 2017 से दिसम्बर 2017 तक पूरी 11वी का कोर्स तैयार कर लिया। इसी बीच अदिती ने हमें बताया कि दिल्ली कोचिंग की भागदौड़ में वह 12th बोर्ड की परीक्षा की इंग्लिश की तैयारी नहीं कर पाई है। अदिती ने पहले यूट्यूब से इग्लिश की क्लास ली पर यूट्यूब में उसे काफी समय लग रहा था और बोर्ड परीक्षा काफी नजदीक थी। तब हमने मुरादाबाद एक अंग्रेजी की अध्यापिका जोकि काफी प्रतिष्ठित स्कूल में कार्यरत हैं उनसे मिलकर अपनी समस्या बताई। अदिती से मिलकर वो काफी प्रभावित हुई व उन्होनें अदिती को अंग्रेजी पढ़ाने का वादा किया। लेकिन उन्होने कहा कि वह कभी-कभी ही पढ़ा सकती है, हमने उनकी सभी शर्ते स्वीकर कर अदिती को वहां ट्यूशन शुरू कर दिया। अंग्रेजी की अध्यापिका ने 5 या 6 बार बुलाकर 3-3 घण्टे पढ़ाकर अंग्रेजी का 12 का कोर्स करा दिया परिणाम स्वरूप अदिती के 12 बोर्ड परीक्षा में पूरे स्कूल में अधिकतम नम्बर आये जो 96.4% थे। इसके अतिरिक्त अदिती ने पूरे जिले में चौथा स्थान प्राप्त किया।
अदिती 12वी की परीक्षा हो चुकी थी और वीकेंड क्लास जिसमें हम पिछले दो वर्षों से जा रहे थे उसकी मुख्य परीक्षा नीट 2018 भी होने वाली थी, चूंकि अदिती ने अक्टूबर 2017 से कोचिंग सेन्टर जाना बंद कर दिया था, अतः हमने परीक्षा के बीच करीब एक माह के समय में अदिती क्रेश कोर्स कर ले ताकि उसने जो भी दो वर्षों में तैयारी की है उसका रिविजन हो जाये। इसके लिये अदिती ने क्रेश कोर्स र्हेतु फिर स्कालरशिप की परीक्षा दी जिसमें उसे 80% स्कालरशिप मिली, हमने बाकी की 20% फीस देकर अदिती का क्रेश कोर्स में रजिस्ट्रेशन करा दिया।
चूंकि क्रेश कोर्स प्रतिदिन होना था, अतः हमने यह निर्णय लिया कि 12th की बोर्ड परीक्षा के तुरन्त बाद मैं अदिती के साथ दिल्ली में एक माह रहकर क्रेश कोर्स पूर्ण
करवाऊगां। जब क्रेश कोर्स से पूर्व हम दिल्ली पहुंचे तो हमें इन्स्टीट्यूट की शाखा से पता चला कि इस्टीट्यूट की तरफ से जो हमने दो वर्षों तक वीकेन्ड क्लास की थी उस पूरे कोर्स के 12 टेस्ट नीट 2018 से पहले लिये जायेगें। हम फिर दुविधा में फंस गये कि क्रेश कोर्स करे या 12 टेस्ट दें। हमने अदिती से उसकी राय पूछी तो उसने कहा कि हम जो कोर्स करने दिल्ली आये थे, उसे ही पूरा करेगें व उससे सम्बन्धित 12 पेपर देगें। अगर समय बचा तो क्रेश कोर्स के अन्त में मुख्य टेस्ट दे देगें। हमने एक बार अदिती के निर्णय को प्राथमिकता दी व नीट 2018 से पूर्व 12 टेस्ट दिये।
अंत में नीट 2018 के पेपर का दिन भी आ गया, उस पेपर का केन्द्र हमने दिल्ली ही रखा था ताकि अन्तिम समय में हमें इधर-उधर न भागना पड़े। पेपर से ठीक एक दिन पहले अदिती की मम्मी भी दिल्ली पहुंच गई ताकि अदिती का उत्साह वर्धन हो सके। अदिती का पेपर बंसत बिहार स्थित हरकिशन पब्लिक स्कूल में हुआ पेपर सुबह 10 से दोपहर 1 बजे तक था, मैं और सोनिया बाहर कड़कती धूप में इंतजार करते रहे, ठीक 1 बजे अदिती का पेपर खत्म हुआ बाहर आकर उसने हमसे कहा कि पेपर ठीक हो गया है। हमने ईश्वर का धन्यवाद दिया व चैन की सांस ली। उसके बाद हम आर0के0 लौज पहुंचे व अपना सारा सामान समेटकर बस द्वारा बिलारी की ओर रवाना हो गये व रात्रि 10 बजे तक बिलारी पहुंच गये।
अगले दिन अपने दो वर्षों की थकान मिटाकर सुबह सब तैयार बैठे थे, सभी ने परम पिता परमेश्वर से आर्शीवाद लेने का निर्णय किया व अदिती को लेकर हम मन्दिर पौड़ा खेड़ा पहुंचे व शिवलिंग पर जल चढ़ाकर ईश्वर से आर्शीवाद प्राप्त किया। मन्दिर से लौटकर मैंने अदिती को नेट से नीट 2018 की उत्तर कुंजी निकाल कर दी व उससे बिल्कुल सटीक नम्बर गिनने को कहा। अदिती ने तुरन्त ही उत्तर कुंजी से नम्बर गिनने शुरू किये व इस निष्कर्ष पर पहुंची थी उसके 581 से 590 नम्बर बीच नीट 2018 में आ जायेगें। यह सुन हमारा पूरा परिवार संतुष्ट हो गया कि अदिती अब डॉक्टर बनने के करीब है बस नीट 2018 के रिजल्ट आना बाकी है। अब वो दिन भी आ चुका था जब नीट 2018 का रिजल्ट आना था, असल में नीट ने पहले 5 जून 2018 रिजल्ट को कहा था, मैंने अनायास ही 4 जून 2018 को इन्स्टीट्यूट की शाखा दिल्ली में फोन कर लिया व पूछा कि नीट का रिजल्ट कब आयेगा, तब उन्होनें मुझे बताया कि
नीट 2018 का परीणाम आज ही आने वाला है। मैंने तुरन्त अदिती को तैयार होकर परम पिता से आर्शीवाद लेने को कहा, तत्पश्चात मैं व अदिती अपने घर के समीप गुल प्रिंटर्स पर रिजल्ट देखने पहुंचे, वहां पता चला कि रिजल्ट आ चुका है ।अदिती का रोल नम्बर व सेन्टर नं0 उन्हें बताया तब उन्होनें जैसे ही अदिती का रोल नम्बर व सेन्टर नं0 कम्प्यूटर में डाला तो रिजल्ट स्क्रीन पर था अदिती के 581 नम्बर आये थे और उसकी ऑल इण्डिया रैंक 2988 थी अब वह डॉक्टर बन चुकी थी। मेरे व अदिती की आंखो से आंसू निरन्तर बह रहे थे, हमारी दो वर्षों की मेहनत सफल हो चुकी थी। वहां खड़े सभी लोगों ने हमें ढेरो शुभकामनायें दी, हम नीट 2018 के रिजल्ट का प्रिंट आउट लेकर घर आ गये और ये खुश खबरी पूरे परिवार को बता दी। इसके बाद दोपहर एक 1 बजे से रात्रि 10 बजे तक फोन पर व व्यक्तिगत रूप से पूरे बिलारी के हमारे सभी मित्रों ने बधाई दी। पूरे परिवार में सभी हंस खुशी के पल में आंसू भी बहा रहे थे, ये खुशी के आंसू थे क्योंकि यह सफलता 2 वर्षों के अथक प्रयासों के बाद अर्जित हुई थी।
नीट 2018 के रिजल्ट के बाद काउंसलिंग का दौर शुरू हुआ जो करीब दो माह तक चला जिसमें अदिती को स्टेट काउंसिलिंग के माध्यम से कानपुर मेडिकल कालेज जी0एस0वी0एम0 में दाखिला मिला, चूंकि अदिती की स्टेट रैंक 263 व ऑल इण्डिया रैंक 2988 रही इस कारण अदिती अपनी पंसद का कॉलेज चुनने में भी सफल रही। आज अदिती जी०एस०वी०एम० मेडिकल कालेज, कानपुर में एम0बी0बी0एस की पढ़ाई कर रही है और अपना भविष्य संवारने के लिये प्रयासरत है, मैं उसके उज्जवल भविष्य की कामना करता हूं। लेकिन जंग अभी जारी हैं........
इस प्रेरणा दायक कहानी लिखने का मेरा मकसद कोई सहानूभति लेना नहीं है, मैं बस इतना चाहता हूं कि इसे पढ़कर यदि एक छात्र भी प्रेरित होकर अपना भविष्य संवार पाये तो मेरा प्रयास सफल होगा।
✍️विवेक आहूजा, बिलारी ,जिला मुरादाबाद
@9410416986
Vivekahuja288@gmail.com

तभी एक वृद्ध व्यक्ति ने पास जाकर इसका कारण जानने का प्रयास किया तो पता चला कि उस पिक्चर हॉल में 'जय संतोषी माँ' पिक्चर कल ही लगी है और हर कोई उसके पहले शो का पहला टिकिट पाने की जुगाड़ में लगा है।
उन महानुभाव ने अपना माथा पीटते हुए कहा ये लोग कितने अज्ञानी हैं ये इतना भी नहीं समझना चाहते कि जिस पिक्चर को देखने के लिए इन्होंने इंसानियत की सारी हदें पार करके अपने संतोष को ही तिलांजलि दे दी है।
कम से कम फ़िल्म के टाइटिल को ही गौर से पढ़ लेते।
मैंने तो पूर्वजों को यहीकहते सुना है कि ''जब आवै संतोष धन सब धन धूरि समान''
✍️वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी, मुरादाबाद/उ,प्र,
मो- 9719275453

✍️ मीनाक्षी वर्मा, मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश
मैंने कल दीदी से भी बोला था आप स्कूल गईं हुईं थीं ,मुझे आज पाँच सौ रुपए दे दो ।मैं थोड़ी झुंझलायी कि यह हमेशा ही यही करती है ,महीना पूरा होने नही देती, बीस तारीख को ही तकाज़ा हाजिर रहता है ।रानी मैंने तुमसे कई बार कहा कि महीना पूरा तो होने दिया करो ।
भाभी मेरा महीना तो बीस को ही होता है ,वहबोली ।
पिछले दिनों जब लाॅकडाउन चल रहा था, मैंने तुम्हे तीन महीने बिना काम के ही पैसे दिए थे या नही ,दिए थे और तुम बीस तारीख का ही रोना लिए रहती हो ।दस दिन तुम उसी में एडजेस्ट कर लो और न जाने कितनी बार तुम लम्बी लम्बी छुट्टियाँ कर लेती हो ,तो ??? मैंने कभी तुम्हारे पैसे काटे ??
काम बाली बाई रानी चुपचाप सुन रही थी ,बोली ,ना भाभी मेरे घर सास की बरसी है उसी के सामान के लिए मुझे चाहिए ।मेहमान आयेंगें ,रिश्तेदार आयेंगें और हमारे यहाँ ननदों को कपड़े लत्ते देकर विदा किया जाता है ।पण्डित जी जीमेंगें ।सामान बगैहरा दिया जायेगा ,बहुत खर्चा है ।
मेरा लहजा कुछ ठंडा पड़ चुका था ।मैं बोली , ऐसे हालात में तुम्हे इतना सब क्यों करना है ? तुम्हारा आदमी इतने दिनों से काम धंधे से छूटा पड़ा था ,तीन -तीन बेटियाँ हैं ,कैसे करोगी यह सब ?
भाभी जी लोकलिहाज को करना ही पड़ेगा । हमारे जेठ तो खत्म हो गए तब से जेठानी तो कुछ खर्चा करती नही और देवर करना नही चाहता , वह तो सास की एक कोठरी हड़पने की चाहत में नाराज़ हुआ बैठा है ,तो बचे हम । हम भी न करेंगें तो बताओ बिरादरी बाले क्या कहेंगें । सासु जी की आत्मा भी हमें ही कोसेगी ।करना तो पड़ेगा ही ।खैर मैं ज्यादा और सुनने के मूड में नही थी ।मैंने उसे पैसे दिए और अपने काम में व्यस्त हो गई ।
मैं इस धार्मिक महाभोज के बारे में सोचने लगी कि बताओ ये गरीब मजदूर वर्ग भी अपने ये रस्मोरिवाज़ दिन रात मेहनत करके , पाई पाई जोड़कर या हो सकता है कि अपने काम से एडवांस ले लेते हों तब भी भरसक निभाना चाहता है ।अपनी इन पुरातन परम्पराओं का बोझ मेरे मन पर भी भारी होने लगा हालांकि हम भी यही सब करते ही आ रहें हैं ।
✍️मनोरमा शर्मा, अमरोहा

"आजकल टी वी वाले बहुत दिखा रहे हैं ।" -- कहते हुए चंदू ने बताया --"ऐसा कानून जिसमें महिला ने अपने हित के लिए किसी पुरूष से अनैतिक शारीरिक संबंध बना लिये हों और तब अपना मुंँह बंद रखा हो । जिसकी शिकायत पुलिस में कई वर्ष बाद भी की जा सकती हो ।"
लल्लू ने आश्चर्य से कहा -- "महिला ने तब शिकायत क्यों नहीं की ? जबकि महिलाओं के हित में अनेक कानून हैं। फिर कानून में हर शिकायत की समय सीमा भी तय की हुई है । यह कैसा 'मी टू' ?"
चंदू हंस दिया -- "यह कानून बड़े लोगों के लिए है ।"
✍️राम किशोर वर्मा, रामपुर

✍️डा.श्वेता पूठिया, मुरादाबाद

"लेकिन हुज़ूर इस बोरी में तो वह गेहूं है जो हर महीने राशन कोटे से हमें मिलता है।
पिछले चार महीने से यही गेहूं मिल रहा है राशन में, और इसे घर में सबने खाने से मना कर दिया; जबकि हम किसानों का अनाज तो तीन तीन बार छान कर भी 10 से 20 परसेंट काट कर रेट दिया जाता है", किसान ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।
✍️नृपेंद्र शर्मा "सागर", ठाकुरद्वारा, मुरादाबाद

✍️शोभना कौशिक, बुद्धि विहार , मुरादाबाद

एक लड़की थी जिसका नाम चम्पा था चम्पा के माता-पिता बहुत गरीब थे जिसके कारण वह पढ़ लिख भी ना सकी ।चम्पा ने जब अपने जीवन के बीस बसन्त पूरे किये तब फिर वह अपनी शादी के सपने सँजोने लगी और सोचने लगी की शायद भविष्य में अपने होने वाले पति के साथ सुख से जी सकूँगी तथा फिर उसके माता-पिता ने उसका विवाह चन्दन नाम के एक व्यक्ति के साथ कर दिया ।चन्दन शराब पीने का बहुत आदि था जिसके कारण आये दिन घर में झगड़ा होता रहता था। धीरे-धीरे समय गुजरता गया और फिर चम्पा के एक लड़का पैदा हुआ फिर आठ महीने बाद चम्पा के एक लड़की तथा दस महीने बाद एक लड़का और हुआ। चम्पा का पति चन्दन तब भी खूब शराब पीता था।एक दिन अचानक चम्पा की तबियत बिगड़ गयी उसे अच्छा इलाज नहीं मिल सका जिसके कारण उसकी बीमारी धीरे-धीरे बढ़ती चली गयी।उसका इलाज कराने के लिये घर में पैसे नहीं थे जिससे उसे अच्छे डॉक्टर को नहीं दिखाया जा सका लेकिन उसका पति रात-दिन शराब पीता रहता था। लम्बी बीमारी के चलते चम्पा की एक दिन मृत्यू हो गयी और वह अपने पीछे अपने सपने,यादें तथा तीन बच्चों को छोड़ गयी।
✍️डॉ.राजेन्द्र सिंह 'विचित्र,' रामपुर ,उत्तर प्रदेश
असिस्टेंट प्रोफेसर, तीर्थकर महावीर विश्वविद्यालय मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश

बडा नाज था मनु काे अपनी व स्नेहा की दोस्ती पर | स्नेहा भी मनु की सबसे हितैषी व सच्ची सहेली हाेने का दम्भ भरती थी क्याेंकि वह बहुत मीठा बाेलती थी और देखने में व्यवहार भी सौम्य था | कोई भी व्यक्ति उससे बात कर उसका कायल हो जाता था |स्नेहा लिखती भी अच्छा थी एवं अपना काम दूसराें से कैसे निकाला जाता है यह तो कोई उससे सीखे........... |
जब भी स्नेहा काे कोई पुरस्कार मिलता तो मनु फूली नहींं समाती, बढ -चढ कर सबसे पहले मुबारकबाद देती और साेशल साइट पर भी खूब प्रचार प्रसार करती |
मनु भी पढनें में बहुत अच्छी थी |इस बार उसने अपनी कक्षा टॉप की ताे प्रधानाचार्य जी ने उसे पुरस्कृत किया |सभी मित्रों व सहपाठियाें ने उसे बधाई दी पर मनु की आँखें तो कुछ और खाेज रही थी......... वह रह रह कर सभागार के गेट की तरफ टकटकी लगाकर देख रही थी पर स्नेहा का कहीं कोई पता नही था............... |
✍🏻सीमा रानी , पुष्कर नगर , अमराेहा
मोबाइल फोन नम्बर 7536800712

"तुम्हारे हृदय से अधिक गहरी नहीं"प्रियतम ने उत्तर दिया।
प्रियतमा हॅस पड़ी,उस शान्त रात्रि में प्रियतम ने भी उसका साथ दिया दोनों के हॅसी के स्वर मिलकर एक हो गये थे।
हॅसते हॅसते नाव पार जा लगी प्रियतम ने नाव की पतवार सॅभाल कर एक ओर रख दी हाथ पकड़कर प्रियतमा को उतारा
"कल फिर आओगी" प्रियतम ने पूछा
"हाँ आऊंगी, नहीं आयी तो खो नहीं जाऊँगी"कहीं दूर क्षितिज की अनन्त गहराईयो मे देखती हुई प्रियतमा ने कहा और चली गई।प्रियतम देखता रहा उसे जाते हुए और फिर वह भी लौट गया पुनः शाम की प्रतीक्षा में
यही क्रम चलता रहा प्रियतमा आती प्रियतम के संग नौका विहार करती और सवेरा होते ही दोनों लौट जाते अपने अपने मार्ग पर ।
'संध्या का समय था प्रियतम नौका लेकर तैयार खड़ा था विहार के लिए कि प्रियतमा आती दिखाई दी,उसका मन प्रसन्नता से भर गया।
'आओ चले' पास आने पर उसने प्रियतमा से पूछा।
'हाँ चलो' प्रियतमा ने कहा, मुझे जीवन की उस अनन्त यात्रा पर ले चलो जहाँ से मैं फिर लौट न सकूँ।
"प्रियतम क्या तुम मुझे वहाँ ले चलोगे" प्रियतमा ने उसके कान के पास मुँह लाकर धीरे से पूछा।
"मेरी जीवन-यात्रा तुम्हारे संग पूर्ण हो यह मैं भी चाहता हूँ पर तुम एक ब्राह्मण -कुमारी हो और मैं साधारण माँझी, हमारा संग समाज को कभी स्वीकार्य नहीं होगा"प्रियतम ने निगाहें झुकाकर उत्तर दिया।
प्रियतमा ने उसका हाथ पकड़ लिया नदी की शान्त धारा मे पड़ते तारों की छाया शत-शत दीपो के समान झिलमिला उठी चाँद भी लहरों के साथ खेलने लगा,नाव धीरे-धीरे बीच में पहुँच गयी।
"प्रियतम आओ जीवन-यात्रा पूर्ण करें"कहते हुए प्रियतमा ने प्रियतम का हाथ पकड़कर नदी में छलाँग लगा प्रियतम कुछ समझ न पाया और दोनों नदी की अनन्त गहराईयो मे विलीन हो गये और उनकी जीवन-नौका आज भी इस समाज रूपी नदी में बहती जा रही है अनन्त की ओर हौले -हौले -हौले -हौले।
✍️रचना शास्त्री
यही तो वह भेंट थी जिसकी आकांक्षा में उसने अपने सारे सम्बन्धी पराये कर दिये ।अपनी आंखों निकले खारे जल मुख से पी लिया और मुख से जिन शब्दों को बाहर आना था वे पुनः पानी से गटक लिए ।
✍️डॉ प्रीति हुँकार, मुरादाबाद

सूट बूट में बंदर मामा,
फूले नहीं समाते हैं।
देख देख कर शीशा फिर वह,
खुद से ही शर्माते हैं।।
काला चश्मा रखे नाक पर,
देखो जी इतराते हैं।
समझ रहे खुद को तो हीरो,
खों-खों कर के गाते हैं।
सेण्ट लगाकर खुशबू वाला,
रोज घूमने जाते हैं।
बंदरिया की ओर निहारे
मन ही मन मुस्काते हैं।।
फिट रहने वाले ही उनको,
बच्चों मेरे भाते हैं।
इसीलिए तो बंदर मामा,
केला चना चबाते हैं।।
✍️डाॅ ममता सिंह
मुरादाबाद
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नन्हीं निटिया करके मेकअप,
बन बैठी है नानी जैसी।
आँखों पर रख मोटा चश्मा,
चली सभी पर रौब जमाने।
और खिलौना-चक्की लेकर,
बैठी-बैठी लगी घुमाने।
बीत गये युग की प्यारी सी,
देखो एक कहानी जैसी।
नन्हीं निटिया करके मेकअप,
बन बैठी है नानी जैसी।
दादी-दादा चाचा-चाची,
सबको अपने पास बिठाती।
अपनी तुतलाती बोली में,
उनको अक्षर-ज्ञान कराती।
उसकी यह छोटी सी कक्षा,
दुनिया एक सुहानी जैसी।
नन्हीं निटिया करके मेकअप,
बन बैठी है नानी जैसी।
✍️ राजीव 'प्रखर', मुरादाबाद
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इतना तेज बुखार
आंखें लाल नाक से पानी
छीकें हुईं हज़ार
दौड़े - दौड़े गए जानवर
औषधिपति के द्वार
हाल बताकर कहा देखने
चलिए लेकर कार।
नाम शेर का सुना हाथ से
छुटे सब औज़ार
चेहरा देख सभी ने उनको
समझाया सौ बार
बच जाएंगे तो दे देंगे
दौलत तुम्हें अपार
चलिए श्रीमन देर होरही
पिछड़ रहा उपचार।
मास्क लगा,पहने दस्ताने
होकर कार सवार
डरते-डरते पहुंचे भैया
राजा के दरबार
पास बैठके राजा जीका
नापा तुरत बुखार
बोले सुई लगानी होगी
इनको अबकी बार।
सांस फूलते देख शेर की
करने लगे विचार
यह तो कोरोना है इसकी
दवा नहीं तैयार
ज़ोर ज़ोरसे लगे चीखने
भागो भागो यार
जान बचानी है तो रहना
घरके अंदर यार।
✍️वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी
मुरादाबाद/उ,प्र
मो0- 9719275453
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अ से अनार आ से आम ,
आओ सीखें अच्छे काम ।
इ इमली ई से ईख ,
माँगो कभी न बच्चों भीख ।
उ उल्लू ऊ से ऊन ,
कितना सुंदर देहरादून ।
ऋ से ऋषि बडे तपस्वी ,
देखो वे हैं बड़े मनस्वी ।
ए से एड़ी ऐ से ऐनक ,
मेले में है कितनी रौनक ।
ओ से ओम औ से औजार ,
आओ सीखें अक्षर चार ।
अं से अंगूर अः खाली ,
आओ बजाएँ मिलकर ताली ।
आओ बजाएँ मिलकर ताली ।
आओ बजाएँ मिलकर ताली ।
क से कमल ख से खत ,
किसी को गाली देना मत ।
ग से गमला घ से घर ,
अपना काम आप ही कर ।
ड़ खाली ड़ खाली ,
झूल पड़ी है डाली डाली ।
आओ बजाएँ मिलकर ताली ,
आओ बजाएँ मिलकर ताली ।
च से चम्मच छ से छतरी ,
लोहे की होती रेल पटरी ।
ज से जग झ से झरना ,
दुख देश के सदा हैं हरना ।
ञ खाली ञ खाली ,
गुड़िया ने पहनी सुंदर बाली ।
आओ बजाएँ मिलकर ताली ,
आओ बजाएँ मिलकर ताली ।
ट से टमाटर ठ से ठेला ,
सुंदर होती प्रातः बेला ।
ड से डलिया ढ से ढक्कन ,
दही बिलोकर निकले मक्खन ।
ण खाली ण खाली , J
रखो न गंदी कोई नाली ।
आओ बजाएँ मिलकर ताली ,
आओ बजाएँ मिलकप ताली ।
त से तकली थ से थपकी ,
मिट्टी से बनती है मटकी ।
द से दूध ध से धूप ,
राजा को कहते हैं भूप ।
न से नल न से नाली ,
गोल हमारी खाने की थाली ।
आओ बजाएँ मिलकर ताली ,
आओ बजाएँ मिलकर ताली ।
प से पतंग फ से फल ,
बड़ा पवित्र है गंगाजल ।
ब से बाघ भ से भालू ,
मोटा करता सबको आलू ।
म से मछली म से मोर ,
चलो सड़क पर बाँयी ओर ।
य से यज्ञ र से रस्सी ,
पियो लूओं में ठंडी लस्सी ।
ल से लड्डू व से वन ,
स्वच्छ रखो सब तन और मन ।
श से शेर ष से षट्कोण ,
अंको का मिलना होता जोड़ ।
स से सड़क ह से हल ,
अच्छा खाना देता बल ।
क्ष से क्षमा त्र से त्रिशूल ,
कड़वी बातें देती शूल ।
ज्ञ से ज्ञान देता ज्ञानी ,
हमें देश की शान बढ़ानी ।
आओ बजाएँ मिलकर ताली ,
आओ बजाएँ मिलकर ताली ।
✍️डॉ रीता सिंह, मुरादाबाद
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हमें गेजैटस नहीं पैरेंट्स चाहिए
मम्मी पापा का प्यार चाहिए.
हमें ट्रिप नहीं न टॉयज चाहिए
माँ के हाथ का खाना चाहिए.
हमें कार नहीं न थिएटर चाहिए
पापा मम्मी का साथ चाहिए.
हमें वीकेंड पर रेस्टोरेंट नहीं
हर शाम साथ साथ चाहिए.
हमें कार्टून न डिस्कवरी चाहिए
अपना बचपन बस बचपन चाहिए.
✍️राशि सिंह,मुरादाबाद
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दूध मलाई भर भर खावें
मेरी ताई धूम मचावें
आलू मटर रसे की सब्जी
आलू परांठे मन से खावें
मीठी मीठी खीर बनी हो
पिस्ता किशमिश खूब पड़ी हो
दो दो दोने खाकर भी मन
डोंगे में जा टूट पड़ा हो ।
डायविटीज कहाँ से आई
उफ ये नई मुसीबत लाई
बैठी ताई मन ललचायें
मेरी तो आँखें भर आईं
मन तुम उदास न करना ताई
जीवन ने यही रीत बनाई
कुछ खोता कुछ मिलता भाई
किस्मत से क्यों करें लड़ाई ।।
✍️मनोरमा शर्मा
अमरोहा
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कितना भोला है बचपन
ना राग द्वेष ना कोई जलन
क्या धर्म जाति क्या छुआछूत
कोमल हृदय कोमल मन
चंचलता उत्साह उमंग
घर से निकले साथी संग
धमाचौकड़ी करते रहते
खेल कूद कटता हर क्षण
बचपन सबको रहता याद
याद आये जाने के बाद
जीवन का यह काल अनोखा
बचपन जीवन का दरपन
✍️धर्मेंद्र सिंह राजौरा, बहजोई
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न मिलेंगे आसानी से
गिरोगे भी ,थकोगे भी
आलोचना सहोगे भी
आँसुओं के समंदर भी बहेंगे
जब अपनो के दरवाज़े बंद रहेंगे
बस वही से दिखेगी तुम्हें
दूर से आती एक लौ
जो रास्ते पर तुम्हारे पड़ेगी
एक आस जो तुम्हें फिर से खड़ा करेगी
थका होगा तन
पर मन को निर्मल करेगी
चोट तेरे दिल पर लगी
खुद मरहम का काम करेंगी
अरे रास्ता तो ख़ुद ब ख़ुद दिखेगा
जब मंज़िल की उसपर रोशनी होगी
तू बस उस रोशनी को देखना
और क़दम अपने मत रोकना
हालात चाहे हो कुछ भी
बस भरोसा ख़ुद पर रखना
दोस्त मेरे फिर देखना
कैसे राहें खुलेंगी
हर गुत्थी पल में सुलझेगी
हैरत होगी ख़ुद देख तुझे
जब ये तेरी क़िस्मत चमकेगी
और दिन वो भी दूर न होगा जब
सूरज की रोशनी भी तेरी मुट्ठी में होगी।
✍️प्रीति चौधरी, अमरोहा
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मिले न कल तो घर पर शायद
परसों के पास चलें ।
दिन जिनमें फुलवारी थे , उन
बरसों के पास चलें ।।
बिगड़ू मौसम घात लगाए
उपचार , स्वयं रोगी ।
मिलीभगत में सभी व्यस्त हैं
जोग-साधना , जोगी ।।
हार , समय भी तोड़ गया दम
नरसों के पास चलें ।
जीना - मरना राम हवाले
अस्पताल में जाकर ।
पहाड़ सरीखे भुगतानों की
सभी ख़ुराकें खाकर ।।
जिनमें सांसे अटकी हैं,उन
परचों के पास चलें ।
भगवान धरा के सब,जैसे
खाली पड़े समुन्दर ।
नदियों से अब पेट न भरते
इनके , सुनो पयोधर ।।
छींटें मारें इनके मुंह पर
गरजों के पास चलें ।
✍️ डॉ मक्खन मुरादाबादी
मुरादाबाद 244001
कुछ दिये टिमटिमाते रहे रातभर।
जुगनुओं की तरह से वो आए नज़र।।
रौशनी खो गयी है सियह रात में।
और वीरान है हर नगर, हर डगर।।
मोड़ पर थी जो उजड़ी हुई झोपड़ी।
उसपे ठंडी हवा ने भी ढाया कहर।।
चांदनी भी हुई अब बड़ी बेवफ़ा।
चाँद निकला मगर वो न आयी नज़र।।
जो मुहाफ़िज़ रहे हर क़दम पर मिरे।
मैं हूँ मुश्किल में और वो हैं सब बेख़बर।।
कुछ दिनों को ज़रा क्या मैं ग़ुम सा रहा।
लोग समझे कि 'आनंद' है बेख़बर।।
✍️अरविंद शर्मा "आनंद"
मुरादाबाद, उ०प्र०
मोबाइल फोन नम्बर- 8218136908

मान या मत मान बंदे,सार यह तू पाएगा।
इस धरा का, इस धरा पर,सब धरा रह जाएगा।
यह तेरा, वह मेरा जग में, कैसी मिथ्या माया है?,
सबसे कर तू प्रीत जगत में, कोई नहीं पराया है।
जेब क़फ़न में कहाँ है होती, कोन तुझे समझाएगा?,
इस धरा का, इस धरा पर,सब धरा रह जाएगा.....
लोभ,मोह जिनके हित करता, करम का फल नहीं बाँटेंगे
चित्रगुप्त जब पोथी खोले,अलग राह ही छाँटेंगे।
जो है बोया वही कटेगा, और न कुछ भी पाएगा,
इस धरा का, इस धरा पर,सब धरा रह जाएगा.......
आज जवानी कल है बुढ़ापा, अंतकाल निश्चित आए।
तुझको जाना है हरि-द्वारे, प्राणी तू क्यों बिसराए।
मरा-मरा ही रट ले बंदे,राम-राम हो जाएगा।
✍️दीपक गोस्वामी 'चिराग'
शिव बाबा सदन, कृष्णा कुंज बहजोई (सम्भल) 244410 उ. प्र.
चलभाष-9548812618
ईमेल -deepakchirag.goswami@gmail.com
प्रकाशित कृति - भाव पंछी (काव्य संग्रह) प्रकाशन वर्ष - 2017

"सब मालूम है।लेकिन तुम शायद ये भूल रहे हो कि बहुत जल्दी चुनाव होने वाले है।" मंत्री जी ने हंसते हुए कहा और स्वच्छता अभियान को सफल बनाने की रण नीति पर सुरेश जी से चर्चा करने लगे।
✍️डाॅ पुनीत कुमार
T -2/505, आकाश रेजिडेंसी
मधुवनी पार्क के पीछे
मुरादाबाद 244001
M 9837189600