बुधवार, 14 अक्तूबर 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार नृपेन्द्र शर्मा सागर की लघुकथा---- -सरकारी अनाज


"नहीं नहीं आपके गेहूं का ये रेट नहीं मिलेगा, आपके गेहूं में बहुत कबाड़ है। आपको 20 परसेंट काट कर रेट मिलेगा", सरकारी तौल पर अधिकारी ने किसान से ऊँची आवाज में कहा।

"लेकिन हुज़ूर इस बोरी में तो वह गेहूं है जो हर महीने राशन कोटे से हमें मिलता है।

पिछले चार महीने से यही गेहूं मिल रहा है राशन में, और इसे घर में सबने खाने  से मना कर दिया; जबकि हम किसानों का अनाज तो तीन तीन बार छान कर भी 10 से 20 परसेंट काट कर रेट दिया जाता है", किसान ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।

✍️नृपेंद्र शर्मा "सागर", ठाकुरद्वारा, मुरादाबाद

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें