रविवार, 11 अक्तूबर 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ मक्खन मुरादाबादी का अभिनव गीत -----जीना - मरना राम हवाले अस्पताल में जाकर । पहाड़ सरीखे भुगतानों की सभी ख़ुराकें खाकर ।। जिनमें सांसे अटकी हैं,उन परचों के पास चलें ।


मिले न कल तो घर पर शायद

परसों के पास चलें ।

दिन जिनमें फुलवारी थे , उन

बरसों के पास चलें ।।


बिगड़ू मौसम घात लगाए

उपचार , स्वयं रोगी ।

मिलीभगत में सभी व्यस्त हैं

जोग-साधना , जोगी ।।

हार , समय भी तोड़ गया दम

नरसों के पास चलें ।


जीना - मरना राम हवाले

अस्पताल में जाकर ।

पहाड़ सरीखे भुगतानों की

सभी ख़ुराकें खाकर ।।

जिनमें सांसे अटकी हैं,उन

परचों के पास चलें ।


भगवान धरा के सब,जैसे

खाली पड़े समुन्दर ।

नदियों से अब पेट न भरते

इनके , सुनो पयोधर ।।

छींटें मारें इनके मुंह पर

गरजों के पास चलें ।

✍️ डॉ मक्खन मुरादाबादी

मुरादाबाद 244001

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