शुक्रवार, 16 अक्तूबर 2020

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था ''राष्ट्रभाषा हिंदी प्रचार समिति" की ओर से 14 अक्टूबर 2020 को मासिक काव्य गोष्ठी का आयोजन

 मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था राष्ट्रभाषा हिंदी प्रचार समिति की मासिक काव्य गोष्ठी 14 अक्टूबर 2020 को जंभेश्वर धर्मशाला लाइन पार मुरादाबाद में संपन्न हुई । अध्यक्षता  योगेंद्र पाल विश्नोई  ने की। मुख्य अतिथि  रघुराज सिंह निश्चल  तथा विशिष्ट अतिथि केपी सरल  थे। सरस्वती वंदना रश्मि प्रभाकर ने प्रस्तुत की तथा मंच संचालन अशोक विद्रोही ने किया। 

 गोष्ठी में योगेंद्र पाल विश्नोई ने कहा-

जन्म मृत्यु आकर सिरहाने खड़ी

किन्तु जीवन का संघर्ष जारी रहेगा


रामेश्वर प्रसाद वशिष्ठ ने पढ़ा-

पंचशील के रथ से पहले, तुमने हाथ मिलाया।

विश्वास घात कर तुमने , अपने उर पर तीर चलाया।। 


अशोक विद्रोही  ने ओजपूर्ण कविता पढ़ी-

हम तेरे वीर जियाले मां, आगे ही बढ़ते जायेंगे।

एक रोज परम पद पर, माता तुझको बैठायेंगे ।।


रश्मि प्रभाकर ने कहा-

आंखों में उमड़े सपनों की, 

            जब हृदय तंत्र से ठनती है ।

तब जाकर निर्भीक लेखनी

              से एक कविता बनती है।।


वरिष्ठ कवि रघुराज सिंह निश्चल का कहना था -–

कहां तक चुप रहूं, कुछ भी न बोलूं।

 असत सत को निगलता जा रहा है।।


प्रशांत मिश्र ने कहा-

नैनो के नीर से जख्मों का

 दर्द कम नहीं होता।


केपी सरल ने पढ़ा-

नीड़ छोड़ शावक उड़े ,सभी मोह विसराय

काया  त्यागे जीव जो ,वापस कभी न आय।।


अरविंद कुमार शर्मा आनंद की ग़ज़ल थी----

जिंदगी रंग हर पल बदलती रही।

सात ग़म के ख़ुशी रोज़ चलती रही।।

अंत में  योगेंद्र पाल विश्नोई ने आभार अभिव्यक्त किया। 











::::::::::प्रस्तुति::::::

अशोक विद्रोही 

उपाध्यक्ष

राष्ट्रभाषा हिंदी प्रचार समिति मुरादाबाद

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