एक व्यक्ति पत्थर से टकरा कर गिर पड़ा बहुत चोट आई, तभी पत्थर बोला पता है हम यहाँ क्यों पड़े रहते हैं, वह इसलिए कि कोई हमसे टकराये और गिरे ।अब देखना यह है कि टकराकर कितने लोग सम्हलते हैं।जो नहीं सम्हलता वह टकराता रहेगा और गिरता रहेगा । जीवन का भी यही मूल मंत्र है । जो सम्हल गया बेड़ा पार जो नहीं सम्हलता वह गिरता रहेगा चोट खाता रहेगा । हम तो कल भी यहाँ पड़े थे आज भी यहीं पड़े हैं।
हाँ सम्हलने वालों की गिनती अवश्य करते रहते हैं -------!!
✍️ अशोक विश्नोई,मुरादाबाद
बहुत सुन्दर।
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