"बेगम, फाजला अब बड़ी हो गई है. उससे कहो कि घर मे भी दुपटटा ओढे रहा करे। क्योंकि घर मे कोई न कोई आता रहता है।"
"ठीक है जी" कहते हुए शाकिर मियां की बेगम ने सर पर पड़ा दुपट्टा ठीक करते हुए स्वीकृति में सर हिलाया।
बराबर के कमरे में खड़ी 13 साल की फाजला माँ बाप की बातें सुन रही थी लाइट चले जाने पर वह कमरे से बाहर आई तो " उफ बड़ी गर्मी है।" कहते हुए शाकिर मियां अपना कुर्ता उतारकर खूंटी पर टांग रहे थे थोड़ी ही देर में गर्मी बढ़ी तो उन्होंने अपना तहमद भी उतारकर अलग रख दिया अब वह अंडर वियर और बनियान में लेटे हाथ से पंखा झल रहे थे जबकि भीषण गर्मी में फाजला की अम्मी सर से दुपटटा ओढे हुए घर के काम काज निपटाने में लगी हुई थी फाजला कभी बाप की ओर देखती तो कभी अम्मी की ओर देखकर अपने आप से सवाल कर रही थी "क्या मर्दो को ही गर्मी लगती है ?"
कमाल ज़ैदी "वफ़ा", सिरसी( सम्भल)
मोबाइल फोन नम्बर --- 9456031926
बढ़िया लघुकथा।
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आदरणीय मयंक जी
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