बुधवार, 14 अक्टूबर 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ प्रीति हुंकार की लघुकथा -----प्रेम की भेंट


अवनि ने सखियों के मुँह सुना था कि विवाह की पहली रात पति प्रेम की भेंट पत्नी को देता है ।नई दुल्हन अवनि अपने सपनों के राजकुमार अपने पति की उस भेंट के सपने गढ़ रही थी कि पति ने कमरे में प्रवेश किया। "सुना था कि तुम शादी नहीं करना चाहती थी । " जहाँ नौकरी करती है वहीं किसी से चक्कर है का?"अमन ने अपनी नव विवाहिता को घूरते हुए कहा, 

यही तो वह भेंट थी जिसकी आकांक्षा में उसने अपने सारे सम्बन्धी पराये कर दिये ।अपनी आंखों निकले खारे जल मुख से पी लिया और मुख से जिन शब्दों को बाहर आना था वे पुनः पानी से गटक लिए ।

✍️डॉ प्रीति हुँकार, मुरादाबाद

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें