सोमवार, 15 फ़रवरी 2021

मुरादाबाद के साहित्यकार स्मृतिशेष दुर्गादत्त त्रिपाठी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर वाट्स एप पर संचालित समूह 'साहित्यिक मुरादाबाद' की ओर से मुरादाबाद के साहित्यिक आलोक स्तंभ के तहत 12 व 13 फरवरी 2021 को दो दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन


          मुरादाबाद के प्रख्यात साहित्यकार स्मृतिशेष दुर्गादत्त त्रिपाठी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर  वाट्स एप पर संचालित समूह 'साहित्यिक मुरादाबाद' की ओर से 12 व 13 फरवरी 2021
को  दो दिवसीय ऑन लाइन आयोजन किया गया। कार्यक्रम में उनकी रचनाएं, चित्र तथा उनसे सम्बंधित सामग्री प्रस्तुत की गई। इन पर चर्चा के दौरान साहित्यकारों ने कहा कि दुर्गादत्त त्रिपाठी का सम्पूर्ण साहित्य मानवीय संवेदनाओं से ओतप्रोत है। उन्होंने सामाजिक विसंगतियों, विद्रूपताओं तथा आम जन की पीड़ाओं को सजग दृष्टि से देखा और अपनी समस्त कृतियों में उसका सफलता पूर्वक निरूपण किया । 

मुरादाबाद के साहित्यिक आलोक स्तम्भ के अंतर्गत आयोजित इस कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए संयोजक डॉ मनोज रस्तोगी  ने कहा कि दुर्गादत्त त्रिपाठी ने साहित्य सृजन के साथ साथ  हिन्दी की 'मतवाला', महारथी और अंग्रेजी की 'मॉर्डन रिव्यू' जैसी स्तरीय पत्रिकाओं का संपादन भी किया था। उनकी प्रकाशित कृतियों में गाँधी संवत्सर (महाकाव्य) शकुन्तला (खण्ड काव्य), तीर्थ शिला (काव्य संग्रह), अमर सत्य (उपन्यास) तथा मंटो मिला था (उपन्यास), स्वर्ग( महाकाव्य), सन्धि और विच्छेद(खण्ड काव्य),निर्बलता का शाप ( महाकाव्य) , कल्पदुहा ( काव्य) उल्लेखनीय हैं। उन्होंने त्रिपाठी जी की अनेक रचनाएं भी प्रस्तुत कीं।  

दुर्गादत्त त्रिपाठी के पुत्र अनुकाम त्रिपाठी ने कहा विलक्षण व्यक्तित्व के धनी और विपुल साहित्य के प्रणेता महाकवि दुर्गादत्त त्रिपाठी का सम्पूर्ण जीवन उत्कृष्ट साहित्य साधना का इतिहास रहा है । उनका चिंतन समग्र विश्व के कल्याण का चिंतन था। वह ऐसे विश्व समाज की बात करते थे जिसमें वर्ग विद्वेष का कोई स्थान न हो ।    

प्रख्यात साहित्यकार यशभारती माहेश्वर तिवारी ने कहा त्रिपाठी जी हमारी साहित्यिक विरासत के वह स्तंभ हैं जो साहित्य की मूल आत्मा ,मानवीय मूल्यों को अपने लेखन में गूँथते चले जाते हैं।उन्होंने उदात्त चिंतन को अपने लेखन में  पिरोया साथ ही प्रगतिशील विचारों को भी अपने लेखन में स्थान दिया ।
      
प्रख्यात व्यंग्य कवि डॉ मक्खन मुरादाबादी ने कहा त्रिपाठी जी साहित्य की एक सम्पूर्ण यात्रा हैं। वह मात्र रचनाकार नहीं थे बल्कि अपनी रचनाओं से वह युग प्रवर्तक आचार्य थे। उनकी रचनाओं में से काल नहीं अपितु कालजयी भावना जागती दिखाई देती है।वह देश के उल्लिखित बड़े कवियों की पंक्ति के कवि थे।

  चर्चित पत्रकार एवं साहित्यकार भोलाशंकर शर्मा ( दिल्ली) ने कहा कि  महाकवि त्रिपाठी जी की  कविताओं में भागवत-भाव प्रतिबिम्बित होता है। उनके कवि ने "वसुधा को ही परिवार माना है।
उनका साहित्य समयगत सच्चाइयों को पूरी बेबाकी से उजागर करता है ।
    
श्री कृष्ण शुक्ल ने कहा कि उनकी रचनाओं में सामाजिक विषमता का चित्रण है, आध्यात्मिक चिंतन है, राजनीति के दमनकारी व्यवहार और निरीह जनता की लाचारी का चित्रण भी है। वह सत्ता पाने के लिये हिंसा का सहारा लेने वाली राजनीति को भी चेतावनी देते दिखाई देते हैं । समाज में सफल और समर्थ वर्ग की अर्थपिपासा, संवेदन शून्यता,  परिवारों का विघटन, इन सभी परिस्थितियों को अत्यंत मार्मिक तरीके से उन्होंने व्यक्त किया है।    
शिखा रस्तोगी ने कहा कि उनकी कहानियों में जीवन का यथार्थ चित्रित किया गया है । कहानी का हर पहलू जीवन के किसी न किसी छोर को छूता हुआ निकल जाता है और मन में समाज के प्रति एक ऐसी चुभन का आभास होता है जो सदैव मानव मन को प्रेरित करती है -- सद्वृत्तियों सी ओर, सद् विचारों की ओर ।     
कवयित्री हेमा तिवारी भट्ट ने कहा कि दुर्गादत्त त्रिपाठी जी ने गुणवत्ता पूर्ण विपुल साहित्य रचने के बावजूद स्वयं को प्रायोजित मूल्याकंन से आजीवन दूर रखकर नवपीढ़ी के लिए एक आदर्श स्थापित किया है।उनका साहित्य मानवीय मूल्यों,विश्वबन्धुत्व की भावना और उत्कृष्ट विचारों से परिपूर्ण है। उनका अतुलनीय लेखन व्यक्ति की इकाई को समुन्नत बनाने की क्षमता रखता है।  
साहित्यकार योगेंद्र वर्मा व्योम ने कहा कि मुरादाबाद ही नहीं, राष्ट्रीय स्तर के बड़े साहित्यकार थे दुर्गादत्त त्रिपाठी जी। कीर्तिशेष राजेन्द्र मोहन शर्मा श्रृंग जी की संस्था हिन्दी साहित्य संगम की ओर से सन 2006 को दिव्य सरस्वती इंटर कॉलेज, लाईनपार में "दुर्गादत्त त्रिपाठी जन्मशती समारोह" का भव्य आयोजन किया गया था । इस कार्यक्रम में कीर्तिशेष गीतकवि शचींद्र भटनागर जी को पहला "दुर्गादत्त त्रिपाठी स्मृति साहित्य साधक सम्मान" से सम्मानित भी किया गया।
       
फ़रहत अली ख़ान ने कहा कि महा-काव्य और खंड-काव्य जैसी कम-याब विधाओं में रची गयी अहम कृतियाँ, ढेरों गीत-कविताओं की किताबें, कई नॉवेल्ज़, कई कहानी-संग्रह, कई मैगज़ीन्स की एडिटिंग, ये बड़ा अदबी सरमाया है और इस पर ख़ुद को छपवाने, अवार्ड पाने की ख़्वाहिश न रखना फ़क़ीर-मिज़ाजी की निशानी है।
 वरिष्ठ साहित्यकार आमोद कुमार (दिल्ली) ने कहा कि  हिन्दी साहित्य के गौरव व मुरादाबाद के सिरमौर स्मृति शेष  दुर्गा दत्त त्रिपाठी का साहित्य सृजन जयशंकर प्रसाद के समकक्ष है। 
साहित्यकार अशोक विश्नोई ने कहा कि महाकवि स्मृति शेष दुर्गादत्त त्रिपाठी जी विलक्षण प्रतिभा के धनी थे जितना साहित्य उन्होंने रचा उस हिसाब से उन्हें हिंदी साहित्य जगत में महत्वपूर्ण स्थान नहीं मिल पाया।
दुष्यन्त बाबा ने कहा कि दुर्गादत्त त्रिपाठी ने हिंदी साहित्य जगत में मुरादाबाद का प्रतिनिधित्व कर राष्ट्रीय स्तर पर पहचान स्थापित की है । 

राजीव प्रखर  ने कहा कि उनके साहित्य में लोक सँस्कृति की गूंज है। उन्होंने उनके व्यक्तित्व व कृतित्व पर वृत्तचित्र के निर्माण की आवश्यकता पर बल दिया।  
महानगर की कवयित्रीमीनाक्षी ठाकुर ने आयोजन  की सराहना करते  हुए कहा उनका सम्पूर्ण साहित्य एवं रचनाएं नवोदित रचनाकारों का मार्ग दर्शन करती हैं। 

अशोक विद्रोही ने कहा कि दुर्गादत्त त्रिपाठी  का लेखन निम्न वर्ग के समाज के लोगों के लिए अत्यंत संवेदनशील एवं प्रेरणादायी रहा है ।  

रामपुर के साहित्यकार रामकिशोर वर्मा ने कहा कि स्मृतिशेष दुर्गादत्त त्रिपाठी का अनुकरणीय जीवन परिचय है। जीवन के उतार-चढ़ाव से समायोजन करते हुए स्वयं की योग्यता से हिन्दी के प्रति वह समर्पित रहे ।
     
अमरोहा की साहित्यकार मनोरमा शर्मा ने कहा कि साहित्यिक मुरादाबाद के माध्यम से स्वनामधन्य श्री दुर्गादत्त  त्रिपाठी जी का साहित्य अवलोकन  करके  मुरादाबाद की साहित्यिक विरासत से हम सभी को परिचित होने का अवसर मिला
 ।इसके लिए  बहुत बहुत बधाई।
 
रामपुर के साहित्यकार रवि प्रकाश ने कहा कि स्मृति शेष पूज्य श्री दुर्गा दत्त त्रिपाठी जी के बहुमुखी व्यक्तित्व तथा रचना धर्मिता पर केंद्रित  चर्चा इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि जब तक किसी रचना का बार-बार पाठ नहीं होता वह विस्मृत हो जाती है।1979 से अब तक एक लंबा समय बीत चुका है । अतः दुर्गा दत्त त्रिपाठी जी की रचनाओं को नए सिरे से पढ़कर ही हम उनसे परिचित हो पाएंगे । उपन्यास, कहानी, कविताएं आदि विविध विधाओं में लेखन कार्य करना सरल नहीं होता। ऐसी बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्तित्व को मेरा शत-शत प्रणाम ।
 
कवयित्री इंदिरा रानी ने कहा कि महान साहित्यकार कीर्ति शेष श्रद्धेय दुर्गा दत्त त्रिपाठी जी से हमारे पारिवारिक सम्बंध रहे. हमारे पूज्य पिताजी के साथ वह रेल विभाग में गार्ड थे. अनेकानेक साहित्यिक एवं कलात्मक आयोजनों में हम सबकी सहभागिता रही. कालांतर में श्रद्धेय महेंद्र प्रताप जी के निवास पर 'अंतरा' में नियमित काव्य गोष्ठियों में मिलना होता रहा. यह हमारा सौभाग्य था कि उनको प्रत्यक्ष सुनने का अवसर मिला. उनकी उच्च स्तरीय रचना धर्मिता के सभी प्रशंसक रहे. हमारे विवाह के बाद उन्होंने बहुत स्नेह के साथ हमें आपने घर निमंत्रित किया था. उनका और पूजनीया शकुंतला जी का असीम वात्सल्य हमें मिला.


नोएडा की साहित्यकार सपना सक्सेना दत्ता ने साहित्यिक मुरादाबाद द्वारा किये गए इस दो दिवसीय आयोजन की सराहना की 

 

महानगर के संगीतज्ञ एवं साहित्यकार आदर्श भटनागर ने भी चर्चा में प्रतिभाग करते हुए इस प्रकार के आयोजनों की आवश्यकता पर बल देते हुुए कहा कि इससे हमें अपनी विरासत का ज्ञान होता है ।

:::::::::: प्रस्तुति ::::::::::::

डॉ मनोज रस्तोगी
8,जीलाल स्ट्रीट
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल फोन नम्बर 9456687822

 
    
    

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