शुक्रवार, 26 फ़रवरी 2021

मुरादाबाद के साहित्यकार वीरेंद्र सिंह वृजवासी की कहानी ----- आँचल


बेटा खाना खा ले, भूख नहीं है माँ,चल थोड़ी देर बाद खा लेना।लगभग एक घंटे बाद माँ ने पुनः खाना खाने को कहा बेटे ने फिर वही,भूख नहीं है माँ।ऐसा क्या खा लिया तूने जो भूख ही मिट गई तेरी,,,,

 मां तो आखिर माँ है।उसे देखकर माँ की भूख भी जाती रही।परंतु मन नहीं माना बेटे के पास जाकर कहा बेटा देख, मैने तेरी पसंद की मूली की भुज्जी,काला नमक और भुने जीरे की लस्सी तथा चना- गेहूं की रोटी बनाई है।पका पपीता भी काटकर रखा है।जल्दी आ खाना ठंडा हो रहा है।

      बेटा नाक मुंह सिकोड़ता हुआ आया और बोला यह भी कोई खाना है।मूली की भुज्जी घास-फूस,चना गेहूं की रोटी।ऐसे खाने को तो बीमार लोग ही खा सकते हैं मैं नहीं।माँ ने थोड़ा डांटते हुए कहा और तू जो खाता वह बहुत अच्छा है क्या? रोजाना

       मीट-मुर्गा,कवाब,बिरियानी,

 अंडा,मछली ही तुझे अच्छा लगता है।पर तुझे कौन समझाए कि जो बात शाक-सब्ज़ी में है वह किसी में नहीं।मुझे तो ऐसा लगता है कि इन्हें खा-खाकर तेरा लिवर ही तो खराब नहीं हो रहा कहीं।जब देखो तब यही कहता रहता है मुझे भूख नहीं है।

      चल मेरे साथ चल अभी, तुझे नुक्कड़ वाले वैद्यजी कृपा शंकर को दिखाकर लाती हूँ।बड़े नामी-ग्रामी वैद्य हैं।काफी ना नुकर का बाद माँ बेटे को वैद्य जी की दुकान पर ले गई और सारा हाल बताकर अच्छी दवा देने को कहा।वैद्य जी ने लड़के का हाथ पकड़ कर नब्ज़ देखते ही बता दिया कि इसके भूख न लगने का कारण इसका कमज़ोर होता लिवर है।अगर इसका सही उपचार न किया गया तो यह मर्ज लाइलाज भी हो सकता है।अच्छा किया जो तुम सही समय पर यहां ले आईं।

          मैं एक माह की दवा दे रहा हूँ।समय से खिलाना,इसके साथ-साथ ज्यादा मिर्च-मसाले बहुत तली-भुनी चीज तथा मीट मुर्गे से भी से दूर ही रखना ।

 इसे केवल और केवल हरी शाक-सब्ज़ी,जिनमें मूली की भुज्जी,मट्ठा,गुड़ चना-गेहूं की रोटी के साथ-साथ गन्ने का ताजा रस पपीता,अमरूद फायदा करेगा।एक बात और गौर से सुन लो किसी भी प्रकार का नशा करना तो इस बीमारी में अपने आप को ज़हर देने के बराबर है।मेरा कहना सौ प्रतिशत सही है।इस पर पूरा ध्यान देना।घबराने की कोई बात नहीं है।

      माँ ने माथे से पसीना पौंछते हुए ठंडी सांस ली और वैद्य जी को पैसे देकर घर आ गई।घर आकर बेटे से बोली। बेटा माँ कभी गलत नहीं हो सकती,तुम्हारी आदतें गलत हो सकती हैं। जिन्हें केवल माँ ही पहचान सकती है।

       बेटे ने माँ की बात मानते हुए  उचित इलाज लिया और कुछ ही दिनों में भला चंगा हो गया।अब तो वह खुद ही माँ से बोलता माँ जोरों की भूख लगी है।मां खुशी-खुशी खाना परोसा देती और बेटे को खाना खाते देख मन ही मन खुश होकर दुनियाँ की सारी खुशियां अपने आँचल में समेट लेती।

 ✍️ वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी, मुरादाबाद , मोबाइल फोन नम्बर --9719275453

                

                 08/02/2021

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