विश्व में लहराए पताका, ऐसी राजधानी चाहिए,
व्यवस्थाओं को जो बदल डाले, ऐसी जवानी चाहिए।
सत्य हराने को रिश्वत में जो नोट होता है, हर नोट पर ''सत्यमेव-जयते'' लिखा होता है।
''सत्यमेव-जयते'' का अपमान अब बंद हो,
हर भ्रष्टाचारी के मुंह पर, घोर प्रतिबंध हो।
लिखे काली करतूतों की गाथा,ऐसी लेखनी चाहिए,
व्यवस्थाओं को जो बदल डाले,ऐसी जवानी चाहिए।।
पवित्र गंगाजल भी जब गंदा होने लगे, जोरों पर गौकशी का धंधा होने लगे।
युवा रोजगार को त्रस्त हो,
फिर भी बुक छोड़, फेसबुक पर मस्त हो।
लिखे जो प्रेमिका के किस्से केवल,ना ऐसी कहानी चाहिए,
व्यवस्थाओं को जो बदल डाले,ऐसी जवानी चाहिए।।
वृद्ध जब अनाथालय में सिसकने लगे,
सत्य जब न्यायालय में तड़फने लगे।
तब हमारी गीता भी ,आंसू छलकाएगी,
कलिकाल की मूरत भी, जोरों से खिलखिलाएगी।
ऐसे में युवाओं के, रुधिर की रवानी चाहिए,
व्यवस्थाओं को जो बदल डाले,ऐसी जवानी चाहिए।।
✍️ अतुल कुमार शर्मा, निकट प्रेमशंकर वाटिका,
संभल, मो०9759285761, 8273011742
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