रविवार, 21 फ़रवरी 2021

मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ शोभना कौशिक की कविता ----अन्जान पथ


अन्जान पथ मुश्किल भरे ।

काँटो से हैं ये सजे ।

दूर-दूर तक कोई नही अपना ।

अकेले हैं बस हम ,

और कोई नही अपना ।

यूँ ही हम चलते जाते हैं।

समय का साथ निभाते जाते हैं।

राह नई चुनते जाते हैं।

मंजिल यूँ ही नही मिलती प्यारे ।

ख्वाब उसके बुनते जाते हैं।

     कटती हैं रातें भी कभी जागते हुए

     दिन भी कटते हैं कभी ,

     भूखें रहते हुए ।

     तसल्ली रहती हैं,

     फिर भी दिल को मेरे।

     रोशन होगा एक दिन मेरे,

     अरमानों का चमन ।

संघर्षो की अजीब दास्तां हैं ये पथ ।

अनुभवों की पाठशाला हैं ये पथ ।

कुछ न कुछ सिखाते हैं ये पथ ।

अपने आप ही कुछ ,

कह जाते हैं ये पथ ।

✍️ डॉ शोभना कौशिक, बुद्धिविहार , मुरादाबाद, उत्तरप्रदेश

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