शुक्रवार, 26 फ़रवरी 2021

मुरादाबाद मंडल के जनपद अमरोहा की साहित्यकार मनोरमा शर्मा की लघुकथा ---देह की यात्रा


तू छोड़ यह सब ।अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे ।हां दीदी ! मैं तो बहुत ध्यान से पढ़ रही हूं आप कभी कभी कैसी बाते करती हो

दीदी मुझे समझ नही आती ।मेरे स्कूल में आज 'मिशन शक्ति' अभियान चल रहा है रोज प्रोग्राम होता है ।मैडम ने आज 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' के बारे में हम सबको बहुत समझाया कि हमारी बेटियां किसी से कम नही हैं ।पढ़ लिख कर वह चांद पर भी पँहुच सकती हैं ,सेना में भर्ती होकर हमारे देश की सुरक्षा कर सकती हैं ।वह जोश में बोले जा रही थी ।

'बस अपनी सुरक्षा ही नही कर पातीं हैं .'...सबसे आसान और क्या है? और सबसे मुश्किल भी यही है ..।इस देह की यात्रा बड़ी लम्बी लगने लगी है ऐसा लगता है कि हर रोज एक नई कहानी शुरू होती है हर कहानी पिछली कहानी से अलग । कराहट से भरी महक बुदबुदा कर बोली।सारे पैसे खत्म हो गए आज ,कल सुबुक की फीस भी जानी है ।क्या करूं ? चार दिन से कोई ग्राहक भी नहींं आया । मां, बाबा के गुजरने के बाद से लेकर आज तक की सारी यातनाएं उसकी आंखों के सामने एक रील की तरह दौड़ गयीं ।

✍️ मनोरमा शर्मा, अमरोहा 

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