मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था काव्य प्रवाह अनुगूंज की ओर से पुलवामा के शहीदों को समर्पित एक शाम शहीदों के नाम कवि-सम्मेलन का आयोजन रविवार 14 फरवरी 2021 को मानसरोवर कन्या इंटर कॉलेज मुरादाबाद में किया गया। डॉ. अर्चना गुप्ता द्वारा प्रस्तुत माँ शारदे की वंदना से आरंभ हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार डॉ. मक्खन 'मुरादाबादी' ने की। मुख्य अतिथि डॉ. सोमपाल सिंह (प्राचार्य डी. एस. एम. कालेज,काँठ) एवं विशिष्ट अतिथि सुप्रसिद्ध शायर डॉ. कृष्ण कुमार 'नाज़' थे । कार्यक्रम का संचालन संयुक्त रूप से मयंक शर्मा व आवरण अग्रवाल 'श्रेष्ठ' ने किया।
कार्यक्रम में राजीव 'प्रखर' ने कहा --
लिये जां हाथ में अपनी, सजग हर बार रहते हैं।
अड़े जिनके सदा सम्मुख, कई मझधार रहते हैं।
उन्हें शत्-शत् नमन है जो, वतन के मान पर हरदम,
लिपटने को तिरंगे में, खड़े तैयार रहते हैं।
डॉ. अर्चना गुप्ता ने कहा ---
सीमा पर रहते हो पापा,
माना मुश्किल है घर आना।
कितना याद सभी करते हैं,
चाहूँ मैं बस यह बतलाना।
अभिषेक रुहेला का स्वर था ---
मन ही मन हम चले आये हैं,
रूठ कब हम चले आये हैं।
मीनाक्षी ठाकुर ने गीत प्रस्तुत किया ---
हे भारत भूमि तुझे नमन।
वीरों की धरती तुझे नमन।
डॉ. रीता सिंह ने शहीदों को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा----
वीरों का वंदन माथे का चंदन,
इन को करें नमन, आओ करें नमन।
डॉ. ममता सिंह ने ग़ज़ल प्रस्तुत की ----
वतन की आन पे तो जान भी क़ुर्बान है यारो।
कफ़न गर हो तिरंगे का तो बढ़ता मान है यारो।।
श्रीकृष्ण शुक्ल ने कहा ---
तुम क्या जानो किस जीवट से,
सैनिक का जीवन चलता है।
सीमाओं पर सैनिक प्रतिपल जीता है,
प्रतिपल मरता है।
डॉ. कृष्ण कुमार नाज़ ने कहा ----
ज़ह्न की आवारगी को इस क़दर प्यारा हूँ मैं
साथ चलती है मेरे, इक ऐसा बंजारा हूँ मैं
ईशांत शर्मा 'ईशु' का स्वर था ----
भारत को और मजबूत बनायेंगे हम
एक बार फिर से मुस्कुरायेंगे हम
दुष्यंत बाबा ने कहा ---
आओ मिलकर कर्मवीर की, विधवा का सम्मान करें।
शीश झुकाकर चरणों में हम, आज उन्हें प्रणाम करें।
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. मनोज रस्तोगी ने कहा ----
हम देश के हर फ़ैसले पर,
एतराज जताते हैं।
और तो और अपनी ही हार पर,
जश्न मनाते हैं।
अखिलेश वर्मा ने कहा ----
देश की रखे न शान, देश का रखे न मान
ऐसे देशद्रोही को तो देश से निकल दो।
चन्द्रहास 'हर्ष' ने कहा----
हमारे मन में आती रहे, श्रद्धा की यह स्वर लहरी।
नमन् करें हम उनको, जो हमारे राष्ट्र प्रहरी।
डॉ. मक्खन 'मुरादाबादी' ने कहा ----
वह सभी को/ खुश रखती थी
खुश ही रहती थी, अब नहीं रहती
एक नदी/बहती थी/अब नहीं बहती।
कार्यक्रम में अरविंद आनंद अरविंद , विमल कुमार , रामेश्वर सिंह , दयावती , मीनू , हेमेन्द्र कुमार , सुनील ठाकुर आदि भी उपस्थित रहे ।संस्था-अध्यक्ष श्रीकृष्ण शुक्ल द्वारा आभार अभिव्यक्ति के साथ कार्यक्रम विश्राम पर पहुँचा।
बहुत सुंदर ब्लॉग
जवाब देंहटाएं🙏🙏🙏🌹
हटाएंएक सार्थक आयोजन के लिये सभी को हार्दिक बधाई। जय हिंद।
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