शुक्रवार, 26 फ़रवरी 2021

मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ पुनीत कुमार की लघुकथा ----घुटन


सतीश जी एक बड़े अधिकारी थे,लेकिन हर समय किसी ना किसी बात को लेकर तनाव में रहते थे।पत्नी के समझाने पर आज वह एक नामी गिरामी संत का प्रवचन सुनने आए थे और भीड़ के बीच,जमीन पर बैठ कर,आराम से प्रवचन का आनंद ले रहे थे। उनको बहुत शांति का अनुभव हो रहा था। तभी उसकी निगाह पास बैठे व्यक्ति परगई। अरे-- ये तो बड़े बाबू हैं।ऑफिस में पास बैठना तो दूर,निगाह तक मिलाने की हिम्मत नहीं कर पाते।उन्होंने पीछे मुड़कर देखा - उनके ऑफिस का चपरासी,बैठे बैठे मुस्करा रहा था।उनका मन खट्टा हो गया। उन्हें लगा कि वे थोड़ी और देर तक रुके तो उनका दम घुट जाएगा।उन्होंने बीबी को इशारा किया और चुपचाप नज़रे बचा कर बाहर निकल गए।

✍️ डॉ पुनीत कुमार

T 2/505 आकाश रेसीडेंसी

मुरादाबाद 244001

M 9837189600

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें