रविवार, 14 फ़रवरी 2021

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था राष्ट्रभाषा हिंदी प्रचार समिति मुरादाबाद की ओर से 14 फरवरी 2021 को मासिक काव्य गोष्ठी एवं वृद्ध साहित्यकार सम्मान समारोह का आयोजन

 राष्ट्रभाषा हिंदी प्रचार समिति मुरादाबाद की ओर से मासिक काव्य गोष्ठी एवं वृद्ध  साहित्यकार सम्मान समारोह का आयोजन 14 फरवरी 2021 को जंभेश्वर धर्मशाला लाइनपार मुरादाबाद में किया गया। आयोजन की अध्यक्षता रामदत्त द्विवेदी ने की । मुख्य अतिथि टीकाराम, विशिष्ट अतिथि ओंकार सिंह ओंकार रहे। संचालन अशोक विद्रोही ने किया। सरस्वती वंदना राम सिंह निशंक ने प्रस्तुत की ।

    समारोह में साहित्यकार योगेंद्र पाल सिंह विश्नोई, रामेश्वर प्रसाद वशिष्ठ,  रामदत्त द्विवेदी, रघुराज सिंह निश्चल, कृपाल सिंह धीमान, टीकाराम को शॉल ओढ़ाकर एवं प्रतीक चिन्ह भेंट करते हुए सम्मानित किया गया। ‌

    काव्य गोष्ठी में योगेंद्र पाल विश्नोई ने रचना प्रस्तुत की -

प्रेम पूर्वक जीता है ,

जो जीवन में निष्काम ।

वही भक्त भगवान का है,

 जो जपे राम का नाम।।

 

अशोक विद्रोही ने कहा ---

सरसों के फूलों ने देखो                       

सुंदर धरा सजाई है

खुशबूसे महका हर उपवन 

ऋतु बसंत की आई है


रामदत्त द्विवेदी ने कहा ---

लाखों बेघर हों तो ,हम छत छवाएं कैसे?


राम सिंह निशंक का स्वर था ----

वृद्धों के प्रेम प्यार से, बढ़े हमारा मान।

इनका कर सम्मान हम,करते निज सम्मान।।


रश्मि प्रभाकर ने सस्वर रचनापाठ करते हुए कहा ----

कोई खुश होने लगता है

हमारे मुस्कुराने से।

कोई खुद मान जाता है

 हमारे मान जाने से।।


रघुराज सिंह निश्चल ने रचना प्रस्तुत की ----

कवियों का ऐसा हो बसंत।

गूंजे कविताएं लिख दिगंत।।


प्रशान्त मिश्र ने कहा ---

सूरज ने बदली से कहा

इतना क्यों भड़कती हो।


महाराजा हरिश्चंद्र महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ मीना कौल ने कहा ----

मेरे रघुवर मेरे रघुनंदन ,

नजर मुझ पर भी कुछ डालो!


कृपाल सिंह धीमान ने कहा ---

आज मन व्याकुल बहुत है ,

कथित डर आकाश ।

आ गया ऋतुराज लेकिन,

 तुम ना आए पास।।


ओंकार सिंह ओंकार का कहना था ---

फूल खिलते हैं हंसीं,

 हम को रिझाने के लिए ।


जितेंद्र कुमार जौली ने आह्वान किया ---

देख चुनावी दौर जो ,लगे बांटने नोट

 उसे कभी मत दीजिए, अपना कीमती वोट

 

डॉ मनोज रस्तोगी ने गीत प्रस्तुत किया ----

सूरज की पहली किरण 

उतरी जब छज्जे पर 

आंगन का सूनापन उजलाया।।


राजीव प्रखर ने कहा ---

विटप से कोकिला ने फिर  

मधुर परिहास गाया है।


योगेंद्र वर्मा व्योम का दोहा था ---

महकी धरती देखकर पहने अर्थ तमाम,

 पीली सरसों ने लिखा खत बसंत के नाम।


के पी सिंह सरल ने  कहा ---

रश्मियां तेज होंगी अब दिवाकर की।

इसके अतिरिक्त शुभम कश्यप,टीकाराम, शवाब मैंनाठेरी, राशिद मुरादाबादी ने भी काव्य पाठ किया।





















  :::::प्रस्तुति :::::::   

 अशोक विद्रोही 

 उपाध्यक्ष

राष्ट्रभाषा हिंदी प्रचार समिति, मुरादाबाद

1 टिप्पणी:

  1. सुंदर व सार्थक आयोजन एवं रिपोर्ट, हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ सभी को। 💐 💐 💐

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