तन हो गया मलिन कि इसका मन हताश है
गंगा उदास है ...मेरी.... गंगा उदास है
शिव को शिवाया छोड़ भगीरथ की हो गयी
ये विष्णु पगा सिंधु के आंचल में खो गयी
संताप , पाप , पल में सारे जग के हर लिए
मंदाकिनी मैदान की गलियों में जो गयी
माँ अमृता की बूँद बूँद में मिठास है
गंगा उदास है... मेरी... गंगा उदास है
मीरा की सिर्फ एक मनौती में आ गयी
रैदास ने चाहा तो कठौती में आ गयी
अपनी ही धरोहर की कद्र हमने छोड़ दी
ये जब से अपने पास बपौती में आ गयी
विश्वास खण्ड खण्ड , मां की टूटी आस है
गंगा उदास है ...मेरी... गंगा उदास है
निकला है कोई गंदगी गंगा में डाल के
चुपके से कोई चल दिया जूठन खंगाल के
इस मां के लाल के घिनौने कर्म देखिये
मारा किसी छाती पे सिक्का उछाल के
ये कैसी उन्नति है ये कैसा विकास है
गंगा उदास है ...मेरी... गंगा उदास है
दुनिया में पतित पावनी गंगा की धार है
आधार है जीवन का ये मुक्ति का द्वार है
केवल नदी नहीं है , न इसको मिटाइए
गंगा हमारी सभ्यता है संस्कार है
गरिमा ये पूर्वजों की देवों का उजास है
गंगा उदास है... मेरी... गंगा उदास है
✍️ मोनिका "मासूम"
मुरादाबाद
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