मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य संगम की ओर से रविवार 7 नवम्बर 2021 को गूगल मीट पर झिलमिल दीप जलें शीर्षक से काव्य-गोष्ठी का आयोजन किया गया।
राजीव प्रखर द्वारा प्रस्तुत माँ शारदे की वंदना से आरंभ हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ रचनाकार वीरेन्द्र सिंह बृजवासी ने कहा -
दीप - दीप से दीप जलाएं,
अंधकार को दूर भगाएं।
पावन दीपावली मनाकर,
सबके दिल में जगह बनाएं।
मुख्य अतिथि ओंकार सिंह विवेक ने अपने खूबसूरत दोहों से संदेश देते हुए कहा -
हो जाए संसार में, अँधियारे की हार।
कर दे यह दीपावली, उजियारा हर द्वार।।
निर्धन को देें वस्त्र-धन, खील और मिष्ठान।
उसके मुख पर भी सजे, दीपों-सी मुस्कान।।
विशिष्ट अतिथि के रूप में वरिष्ठ रचनाकार डाॅ. मनोज रस्तोगी ने मंगलकामना करते हुए कहा - बिताकर वर्ष आया,
दीपावली का त्योहार।
बढ़े सुख समृद्धि आपकी
और आपस में बढ़े प्यार।
दीप जलें खुशियों के,
दुखों का हो दूर अंधकार।
विशिष्ट अतिथि मोनिका मासूम ने कहा --
अंधेरा दूर हो गम का , खुशी की रोशनी बिखरे।
मिले सौगात सेहत की ये जीवन और भी निखरे।
बढ़े सुख -संपदा- समृद्धि के भंडार हर घर में,
ऐ मेरी लेखनी तू ऐसी अब शुभकामना लिख रे।
संचालन करते हुए युवा रचनाकार राजीव प्रखर ने कहा -
मेरे अँगना आज भी, जलकर सारी रात।
झिलमिल दीपक दे गये, दोहों की सौग़ात।।
दम्भी तम तू भूल जा, अपनी सारी ऐंठ।
झिलमिल दीपक फिर गया, तेरे कान उमेंठ।।
चर्चित कवयित्री डाॅ. रीता सिंह ने दीपोत्सव का चित्र खींचते हुए गुनगुनाया -
दीप जलाना मन भाया है।
पर्व दीवाली का आया है।
लड़ी सजेंगी सब अँगना में,
राज उजालों का छाया है।
कवयित्री इन्दु रानी की अभिव्यक्ति कुछ इस प्रकार रही -
गढ़ माटी के दीप को ,कहता है कुम्हार।
इस दीवाली पर्व पर, दिया सजाओ यार।।
दुआ गरीबों की लगे, बना रहे परिवार।
इस दीवाली पर सभी, सुखी रहे संसार।।
युवा कवि प्रशांत मिश्र ने कहा --
आओ! चले उस बाग में ..., जहाँ फूलों की कलियाँ खिली हुई हों,
भौरों की आँखें कुम्भला रही हों, मधुर संगीत गा रही हों।
:::::प्रस्तुति:::::
राजीव 'प्रखर'
मुरादाबाद 244001, उत्तर प्रदेश, भारत
मो. 8941912642 (वाट्सएप)
9368011960 (जिओ)
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