दिल को मोह लेती है रोशनी चिराग़ों की ,
क्या किसी ने देखी है तीरगी चिराग़ों की !
सबको रास आती है रोशनी चिराग़ों की ,
दोस्तो ! बचा लीजे ज़िंदगी चिरागों की !
रात के अँधेरे में ज़िंदगी न खो जाये ,
इसलिए ज़रूरी है ज़िंदगी चिराग़ों की !
हो चमक सितारों की या कि बिजलियाँ दमकें ,
हर किसी पे भारी है सादगी चिराग़ों की !
इक दिया जलाओ तुम एक मैं जलाऊँगा ,
"आएगी नज़र सबको रोशनी चिराग़ों की" !
मुश्किलें ज़माने की सब क़बूल हैं मुझको ,
सह न पाऊँगा लेकिन बेरुख़ी चिराग़ों की !
इल्म के चिराग़ों की बात ही निराली है ,
रोशनी से भरती है बात भी चिराग़ों की !
इक झलक फ़क़त जिसकी तीरगी-1मिटाती है ,
रोशनी-सी लगती है बात भी चिराग़ों की !
हर जगह अँधेरों की आजकल सियासत है ,
सिर्फ़ बात होती है हर घड़ी चिराग़ों की !
प्यार के उजाले ही हर जगह रहें 'ओंकार' ,
आँगनों में हो सबके रोशनी चिरागों की !
तीरगी = अँधेरा
✍️ ओंकार सिंह 'ओंकार'
1-बी-241बुद्धि विहार, मझोला
मुरादाबाद (उत्तर प्रदेश) 244103, भारत
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