सोमवार, 29 नवंबर 2021

मुरादाबाद की साहित्यकार हेमा तिवारी भट्ट की कविता -- फूल


फूल

बहुत प्यारा लगता है

मासूमियत उसकी

मोह लेती है

सबके हृदय

काँटों के बीच भी

वह है

एक सहज विजेता

ईश्वर प्रदत्त है

उसका यह सौन्दर्य

और भोलापन

किन्तु क्या

यह प्रदत्त ही है

उसकी समस्त पूंजी

उसकी जग विजय का

सम्पूर्ण मूल

कदापि नहीं

कभी ध्यान से देखना

फूल को

जानना फूल को

बारीकी से

तुम जानोगे

इसमें निहित है

उसका निस्वार्थ प्रेम

रूप, कुरूप सबके प्रति

हर याचक भाव को

सहज समर्पित

उसकी विनम्रता

भोर में

सूर्य के साथ

खिलना

सांझ में 

तारों की आगवानी में 

सिमट जाना

विपुल सौन्दर्य का धारक

और ये विनम्र अनुशासन

हाँ, ये ही अर्जित है

फूल का

बिल्कुल विपरीत गुण

उसके जन्मजात सौन्दर्य से

तो समझो

सुन्दरता नैसर्गिक हो सकती है

किन्तु उसका स्थायित्व

तुम्हें अर्जित करना पड़ता है

फूल यूँ ही फूल नहीं होता

उसे हर पल

फूल रहना पड़ता है


✍️ हेमा तिवारी भट्ट, मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश ,भारत


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