एक बहुत बड़े देश के राजा को अपने देश में पहलवानों की कुश्तियां कराने और जीतने पर पारितोषिक देने का बड़ा शौक था।एक बार उसने देश के नामी ग्रामी पहलवान सुंदर को बुलाया और पहलवानी के विस्तार के संबंध में कुछ महत्वपूर्ण चर्चा की।
पहलवान सुंदर ने नतमस्तक होते हुए विनम्रता पूर्वक कहा,महाराज अपने ही घर में प्रतियोगिताओं पर खर्चा करने तथा सही प्रतिभागी तक उसका लाभ न पहुचने से पहलवान प्रतियोगियों का मनोबल ही टूटता है।
अच्छा तो यह हो कि अन्य देशों में होने वाली प्रतियोगिताओं में भी हमारा प्रतिनिधित्व हो,महाराज तभी तो असली हीरे की परख हो पाएगी।
महाराज को सुंदर की बात बहुत प्रभावित कर गई।
भाग्य से पड़ौसी देश ईरान में ऐसी ही एक प्रतियोगिता का आयोजन रखा गया।उसमें जीतने वाले पहलवान को पांच करोड़ रु/-का इनाम देने की घोषणा भी की गई।राजा ने तुरंत सुंदर को बुलाया और इस प्रतियोगिता में भाग लेने का आदेश देते हुए ईरान के कुश्ती संघ में सुंदर का नाम लिखाते हुए उसके ठहरने की समुचित व्यवस्था कराई।
सही समय पर प्रतियोगिता प्रारम्भ हुई।सुंदर की भिड़ंत ईरान के नामी,भारी-भरकम पहलवान से होने की घोषणा की गई।सभी दर्शक अपने-अपने देश के पहलवान की जीत का दावा करने लगे।
सुंदर को देखकर सभी हंसने लगे। कोई कुछ, तो
कोई कुछ कहकर सुंदर का मनोबल गिराने का प्रयास करने लगे।तभी ईरान के भीमकाय पहलवान ने सुंदर को दबोचकर चित करना चाहा परंतु सुंदर ने ऐसा दांव चला कि देखते-देखते ईरानी लपहलवान चारों खाने चित हो गया।
फिर क्या था ईरान के राजा ने घोषणा के अनुसार पांच करोड़ के इनाम के साथ अन्य कई मूल्यवान तोहफों के साथ सुंदर को सहर्ष विदा किया।
अपने देश में पहुंचकर सुंदर का जोरदार स्वागत हुआ।राजा ने उसके सम्मान में बोलते हुए सुंदर को पांच करोड़ की राशि पाने का असली हकदार बताया।तभी सुंदर उठा और राजा कर समीप जाकर बोला,महाराज मैं इतनी धन राशि का क्या करूंगा।मैं चाहता हूँ कि यह सारी धन राशि राजकोष में जमा करा दी जाए ताकि हमारा राज्य खुशहाल होऔर साथ में समस्त नागरिक भी।
राजा ने सुंदर को गले लगा कर कहा जो अपने लिए जिए उसको जीना नहीं कहते।देश के सम्मान में ही सबका सम्मान निहित है।बोलो सुंदर पहलवान की जय।
✍️ वीरेन्द्र सिंह बृजवासी,
मुरादाबाद 244001, उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल फोन नम्बर 9719275453
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें