बुधवार, 12 मई 2021

मुरादाबाद के साहित्यकार वीरेंद्र सिंह बृजवासी की लघु कहानी ----- "अनोखा ताबीज"


       माँ के जाने का समय निकट आ चुका था।इसलिए बेटे को हर बला से दूर  रखने के लिए उसने एक ऐसा ताबीज तैयार किया जिसकी इबारत को केवल एक बार ही पढ़ा जा सकता था।माँ ने बेटे को वह ताबीज देते कहा बेटे जाते -जाते मेरी कुछ बात ध्यान से सुन।

       माँ बोली बेटा जब कभी तू बहुत निराश हो,तेरा दिल बहुत घबरा रहा हो,तेरे चारों ओर तुझे केवल भयभीत करने वाला सन्नाटा सता रहा हो,जीवन से स्वयं को भी डर लगने लगे,या इससे भी कठिन परिस्थितियां तेरे चारों ओर घेरा डाल रही हों।

          तब तू इस ताबीज की इबारत को पढ़ना तुझे तेरी हर परेशानी का हल मिल जाएगा।इतना कहते हुए माँ इस संसार को छोड़ कर चली गई।बेटा अकेला रोता हुआ रह गया।

          अब वह बहुत उदास, परेशान रहने लगा।किसी काम में उसका मन न लगता।हर समय खोया-खोया रहता।खाने-पीने की भी कोई सुध-बुध नहीं रह गई।कुछ हमदर्द लोगों ने भी उसे कई बार समझाया।परंतु वह तो अपने आप में ही खोया रहता।

      एक दिन अचानक उसका हाथ उस ताबीज पर पड़ा।उसने सोचा क्यों न इसकी इबारत को ही पढ़कर देखा जाए।उसका ढक्कन खोलने से पहले ही उसके शरीर में एक आनोखी शक्ति उत्पन्न हुई,उसका दिमाग बहुत हल्का सा हो गया।उसे अपने चारों ओर अजीब सा दैवीय प्रकाश नज़र आने लगा।उसने कुछ देर के लिए आँखें बंद कीं तो देखा कि उसकी माँ ताबीज से झांककर कह रही है बेटा भगवान उसी पर भरोसा करता है जो खुद पर भरोसा करना जानता है।

     बेटा उठा और उस ताबीज को प्रणाम करके माँ से कहा, माँ तू बहुत महान है।ईश्वर भी तेरे सामने नतमस्तक रहते हैं।

    अब मैं अकेला नहीं हूँ।तेरा आशीर्वाद हर समय मेरे साथ है।

✍️ वीरेन्द्र सिंह"बृजवासी"

  मुरादाबाद 244001,उत्तर प्रदेश, भारत

  मोबाइल फोन नम्बर  9719275453

                 

                       

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