आज फिर चुनाव था,
चुनाव होना था
राहत और आफ़त के बीच
ज़िंदगी और मौत के बीच
हमेशा की तरह आज भी
बहुत तेज हवाएँ थीं
अड़ियलपन पर ख़ताएँ थीं
अचानक हवाओं ने तेजी पकड़ी
एक आँधी आयी तगड़ी
और सबकुछ समेटने लगी
मानवता तार- तार होने लगी
लाख लगाये मौत पर पहरे
मगर तबाही की थी लहरें
लीलने लगी अचानक ही गाँव के गाँव
लो आखिर हो ही गया था चुनाव!!!
✍️ मीनाक्षी ठाकुर, मुरादाबाद
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