चीं- चीं करती हुई चिड़िया अपनी चोंच में दाना लिए अपने बच्चों को खिलाते हुए बड़ी बेचैनी महसूस कर रही है। अपने भावों को व्यक्त करते हुए चिड़े से बोली- देखो जी, मैं अभी जब दाना लेकर आ रही थी, तभी मैंने लोगों को बात करते हुए सुना कि इन लोगों में महामारी फैली हुई है ...विज्ञान भी फेल हो गया है और यह भी कह रहे हैं कि सांसें घुट रही हैं, हवा की कमी से , लोग मारे मारे घूम रहे हैं ।" हवा को सिलेंडर में भर कर बेच रहे हैं पर हवा इतनी आसानी से मिल भी नहीं रही है।
......इन लोगों ने विकास के लिए पेड़ों को काटा, तब नहीं सोचा शायद तब तो केवल ये सोचते थे कि बस हमारे घर ही उजड़ेंगे , इन पर तो पैसे हैं ...पैसों से सब कुछ खरीद सकते हैं ,"..... चिड़ा लगभग चिढ़ कर बोला।
चिड़िया बोली- आप भी न, बिल्कुल मनुष्य जैसे हो गए हो, मेरा तो दिल बैठा जा रहा है क्या करूं ? " एक काम कर लोगों को समझा कर देख शायद तेरी बात मान लें। इनसे कह दे ...." अपने घरों में पांच ऑक्सीजन लेवल बढ़ाने वाले और कम से कम दस पौधे जरूर लगाएं और अब खरीद लें हवा मुंह मांगे दामों में "
हां बात तो लाख टके की कही है जी आपने,, बच्चों को खाना देकर हम दोनों ही शुरुआत करें ।
चिड़िया दंपत्ति बडे़ उत्साह से अपने पड़ौस के घरों में नन्हें नन्हें पौधे चोंच में भर कर लाने लगे। जब लोगों ने इन्हें देखा तो समझ गए, कि क्या संदेश देना चाहते हैं ये पंछी अपनी जुबां में ।.......
✍️ रेखा रानी , विजयनगर , गजरौला , जनपद अमरोहा।
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