नहीं चाहिए हमें किसी का घोड़ा गाड़ी कोठी
हम तो खुश हैं खाकर दैय्या इज्जत की दो रोटी
कितनी कसकर तुझको बांधू करता है शैतानी
मैंने लाख कहीं तुझसे पर तैने एक न मानी
ताका झांकी इधर उधर की गंदी बातें राजा
मैं हूं घर में अनमनी सी तू भी लौट के आजा
छोटी मोटी बातों पे क्यों छोड़े दाना पानी
मैंने लाख कहीं तुझसे पर तैने एक न मानी
हम हैं तेरी जान के दुश्मन दुश्मन तेरे याडी
कुर्ता लगता तुझे पजामा चुनर लगती साड़ी
दो और दो मत आठ बतावै चार हैं राजा जानी
मैंने लाख कहीं तुझसे पर तैने एक न मानी
जोड़ें और जगोडे मेरे तैने खूब लुटाए
यारों के संग चोरी चुपके जमकर मजे उड़ाए
भारत मां सा चेहरा तेरा मन है पाकिस्तानी
मैंने लाख कहीं तुझसे पर तैने एक न मानी
दो चुल्लू के चक्कर में क्यों पहुंच गया तू दिल्ली
बिल्ली ने काटा है रास्ता निकल जाएगी किल्ली
उतरिया लाल किले से नीचे तेरी मर जाएगी नानी
मैंने लाख कहीं तुझसे पर तैने एक न मानी
सुन ना पाई मैं तेरी तू समझ ना पाया मुझको
मैं हूं तेरी पूर्णमासी चंदा भाया मुझको
तेरा मेरा कैसा झगड़ा कैसी खींचम तानी
मैंने लाख कहीं तुझसे पर तैने एक न मानी
✍️ त्यागी अशोका कृष्णम्, कुरकावली संभल, उत्तर प्रदेश, भारत
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