शुक्रवार, 27 अगस्त 2021

मुरादाबाद के साहित्यकार अशोक विद्रोही की कहानी ----प्यारी बहना

   


कोरोना की विभीषिका में कितने ही घर उजड़ गए ....राहुल का दोस्त सुबोध अच्छा भला सॉफ्टवेयर इंजीनियर था, जिस पर घर की सारी जिम्मेदारी थी, असमय ही काल गाल में चला गया । राहुल ने ही इस त्रासदी में उसके परिवार को संभाला मां और बहन सारिका को ढांढस बंधाया ! 

     वह सुबोध की कमी को तो पूरी नहीं कर सकता था परन्तु सारिका की शादी धूम धाम से तय तारीख पर ही सम्पन्न कराई.....।

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.........रक्षाबंधन की रौनक बाजारों में हर ओर दिखाई दे रही थी। दुकानों पर जगह-जगह राखियां लगी थीं.....हर ओर रक्षाबंधन के गीत गूंज रहे थे....."ये राखी बंधन है ऐसा..."

..... आज रक्षाबंधन है सभी बहनें सज धज कर भाइयों को राखी बांधने जा रहीं हैं सब ओर बड़ी चहल पहल है तभी राहुल का ध्यान अपनी सूनी कलाई की ओर गया वह ख्यालों में डूबता चला गया और..... पांच साल पहले हुई घटना का एक-एक दृश्य सजीव होकर सामने आने लगा.....

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...... "दीदी दो माह हो गए जमीन की रजिस्ट्री किए हुए हैं बाकी के तीन लाख रुपए अभी तक नहीं मिले अच्छा होता आप  हरिओम से कह कर  रुपए हमें भिजवा देतीं........

.. चेक बाउंस होने से पांच सौ रुपए की चपत अलग से और लग गयी....!"राहुल ने फोन पर याद दिलाते हुए मुन्नी दीदी से कहा ।

प्रत्युत्तर में राहुल ने जो कुछ सुना उसकी उसे सपने में भी उम्मीद नहीं थी....."तुम्हारी जमीन ही कम थी! कैसे पैसे ! भूल जाओ! और भविष्य में फिर कभी इस विषय पर कोई बात मत करना "!

   "अरे दीदी आपके कहने पर मैंने पहले ही तीन लाख रुपया छोड़ दिया था,, ऐसा नहीं कहो मुझे अपना लोन भी तो चुकाना है!"

परंतु उत्तर में उसे पैसे तो नहीं मिले बल्कि और भी अधिक बुरी-भली, जली-कटी सुनने को मिलीं......आपस में दूरियां बढ़ती ही चली गईं.....

   राहुल ने हमेशा ही अपनी दीदी के बच्चों की तन मन धन से मदद की थी उसने सपने में भी नहीं सोचा था उसकी सगी दीदी व भांजा उससे ऐसा सलूक करेंगे ! और यह जमीन का सौदा इतना महंगा पड़ने वाला है। ज्यादा कहने सुनने से रिश्ते में और अधिक खटास बढ़ती गई यहां तक कि लड़ाई झगड़ा भी राहुल के साथ हो गया.... आज पांच साल हो गए..... हाथ पर बहन की राखी तक  भी नहीं बंधी! सोचते सोचते राहुल की रुलाई फूट पड़ी....!

    ......तभी घंटी बजी सारिका ने अपने  छोटे बच्चे के साथ भैया... भैया! कहते हुए घर में प्रवेश किया.... हाथ में राखी का थाल था और काजू वाली बर्फी भी... छोटा युग मामा!...मामा!! कहते हुए राहुल से लिपट गया .... 

........"क्या हुआ मेरे प्यारे राहुल भैया को ?" सारिका भावुक होते हुए बोली....

राहुल का कंठ अवरुद्ध हो गया एक बारगी स्वर नहीं फूटे..... फिर आंखें पौछीं और राखी के लिए अपनी कलाई आगे करते हुए  अनायास ही मुंह से निकल पड़ा..........

...... प्यारी बहना!!

✍️ अशोक विद्रोही, 412 प्रकाश नगर, मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत, मोबाइल फोन नम्बर - 82 188 25 541

   

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