शनिवार, 21 अगस्त 2021

मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ रीता सिंह की रचना ----नित लिखता नयी इबारत हूँ , मैं भारत हूँ , मैं भारत हूँ .....


मैं युग युग खड़ी इमारत हूँ

मै भारत हूँ मैं भारत हूँ । 


मैं वेद पुराणों की गाथा

मैं भू का उन्नत सा माथा

मैं गंगा सतलज की धारा

मैं जग की आँखों का तारा

मैं राम कृष्ण की धरती की

नित लिखता नयी इबारत हूँ ।

मैं भारत हूँ , मैं भारत हूँ ..... 


मैं महायुद्ध का हूँ साक्षी

मैं विश्व शांति का आकांक्षी 

मैं योग विधाओं का दाता

मैं गीत प्रेम के ही गाता

ऋषियों के तप की ग्रन्थों में

मैं करता रोज इबादत हूँ ।

मैं भारत हूँ , मैं भारत हूँ..... 


मैं सारंगी के तारों में

मैं वीणा की झंकारों में

मैं मुरली की मधु तानों में

मैं गाता मीठे गानों में

कण कण गूँजते गीत मेरे 

मैं सँगीत भरी महारत हूँ ।

मैं भारत हूँ , मैं भारत हूँ .... 


मैं खेलूँ ग्वाले गोपी में

मैं सजता अहमद टोपी में

मैं सिक्खों के बलिदानों में

मैं हरा खेत खलिहानों मे

वीरों के साहस से देखो

मैं सदियों रहा हिफाज़त हूँ ।

मैं भारत हूँ , मैं भारत हूँ..... 

✍️ डॉ. रीता सिंह, मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत 

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