रक्षाबंधन ही लाता है
अनुपम राखी का त्योहार।
धागा नहीं, प्रेम का बंधन
खुशियाँ बढ़तीं कई हजार।।
दीपू की भी एक बहन है
नाम मनोहर मंजूबाला।
सुंदर - सुंदर वस्त्र पहनकर
पहने है बैजंती माला।।
बहना तुमको मैं लाया हूँ
बढ़िया सुंदर - सी एक कार।।
दीपू भी तैयार हो गए
सेंट लगाकर खुशबू वाला।
प्यारी बहना राखी बाँधो
मैं रक्षक हूँ हिम्मतवाला।।
मंजू ने भी राखी बाँधी।
पाया सुंदर - सा उपहार।।
घर - घर गली - गली में रौनक
मन चाहे पकवान बने हैं।
पुआ, पकौड़ी खीर है मेवा
खाकर ही सब बने ठने हैं।।
सब बच्चों के मन को भाए
प्यारा - सा राखी त्योहार।।
✍️ डॉ राकेश चक्र , 90 बी,शिवपुरी, मुरादाबाद 244001,उ.प्र . भारत, मोबाइल फोन नम्बर 9456201857
Rakeshchakra00@gmail.com
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