रविवार, 15 अगस्त 2021

मुरादाबाद के साहित्यकार शिशुपाल सिंह मधुकर की ग़ज़ल ----खूँ जिन्होंने दिया इस चमन के लिए


 सर नवाते उन्हें हम नमन के लिए

हँस के फांसी चढ़े जो वतन के लिए


दम से उनके ही आईं बहारें यहाँ

खूँ जिन्होंने दिया इस चमन के लिए


सब हों आज़ाद हो जुल्म का खात्मा

हो गये होम वे इस हवन के लिए


आओ अर्पित करें अपने श्रृद्धा सुमन

नौजवानों के उस बांकपन के लिए


ख्वाब आँखो में वो ही सजाएँगें हम

मर मिटे थे वे जिस सपन के लिए

 ✍️ शिशुपाल "मधुकर ",मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत 

                   

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