शनिवार, 28 अगस्त 2021

मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ पुनीत कुमार की लघुकथा --प्रेरणा


"ये तुमने बहुत अच्छा किया।आखिरकार तुमको मेरी बात समझ आ ही गई और तुमने भीख मांगना छोड़ अपना काम करना शुरू कर दिया।" देवेश ने खुश होकर दीपक से कहा। दीपक,जो पिछले चार साल से,मंदिर के बाहर भीख मांगता था,आज फूल मालाएं बेच रहा था।

   " यह सब पवन भैया की प्रेरणा से संभव हुआ है। "दीपक ने सामने खड़े युवक की और इशारा किया।

   देवेश ने देखा,सामने एक दिव्यांग,जिसके एक  टांग नही थी, वैसाखियों पर अपने आप को संभाले, गुब्बारे बेच रहा था। उसके चेहरे पर आत्मसम्मान और आत्मविश्वास, दोनों की मिली जुली चमक थी।


✍️ डॉ पुनीत कुमार

T 2/505 आकाश रेजीडेंसी

आदर्श कॉलोनी रोड

मुरादाबाद 244001

M 9837189600

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