मंगलवार, 18 जनवरी 2022

मुरादाबाद मंडल के जनपद सम्भल निवासी साहित्यकार त्यागी अशोका कृष्णम के दोहे .....


शहद कभी तीखी कभी, फूलों में मकरंद ।

कस्तूरी के हिरन सी , अंग अंग में गंध ।।


मुख मंडल के तेज की , लाली सूरज लाल ।

तीरथ जैसी देह है , मन जैसे खड़ताल ।।


 छोटी-छोटी घंटियों , जैसा भोला प्यार ।

 लाल गुलाबी बह रही , सरिता जैसी धार ।।


जब से दर्शन दे दिए , मिटे सभी अवसाद ।

जन्म जन्म के मिल गया , कर्मों का परसाद ।।


हमने तो बस प्यार में , मार दिए थे फूल ।

 उनको ऐसे चुभ गए, जैसे हौ त्रिशूल ।।


किसने उनको कह दिया , पत्थर दिल गम गीन ।

झूठा यह अभियोग है , नहीं आप रंगीन ।।


किस दुश्मन ने है भरे, प्रिय तुम्हारे कान ।

ऐसा क्यों लगने लगा , नहीं जान पहचान ।।


 एक बताऊं मैं तुम्हें , लाख टके का सार ।

मुझसे बातें मत करो , हो जाएगा प्यार ।।


✍️ त्यागी अशोका कृष्णम

कुरकावली, सम्भल

उत्तर प्रदेश, भारत

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