हिन्दी के हों दोहरे ,छद, बंध, श्रृंगार,
चौपाई और गीत में ,रस की पड़े फुहार।।
रस की पड़े फुहार ,भाव के घन उमड़े हों,
हिन्दी अपनाओ !बंद सारे झगड़े हों ।।
विद्रोही ,मां के माथे ज्यों सजती बिन्दी,
भारत माता के माथे, यूं सजती हिन्दी।।
✍️अशोक विद्रोही
412 प्रकाश नगर,मुरादाबाद
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल फोन 82 188 25 541
🙏🙏🙏🙏 आदरणीय भाई साहब ,आपका हृदय से बहुत बहुत आभार
जवाब देंहटाएंवाह!!!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर।
सुन्दर व उपयोगी प्रस्तुति!
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