शनिवार, 22 जनवरी 2022

मुरादाबाद के साहित्यकार ओंकार सिंह ओंकार की ग़ज़ल ---नए-नए फ़िरक़ों में बांटें जो 'ओंकार' हमें , सावधान उनसे रहना वे ढीठ पुराने हैं


बस्ती-बस्ती हमें ज्ञान के दीप जलाने हैं ।

हर बस्ती से सभी अंधेरे दूर भगाने हैं ।।


सबके मन में प्रीत जगाते गीत सुनाने हैं ।

भरें उमंगें हर मन में,वे साज़ बजाने हैं ।।


हरियाली ही हरियाली हो खेतों में सबके ,

श्रम करके ही हमें सभी उद्योग चलाने हैं ।।


खोज करेंगे नए-नए हम चाँद सितारों की ,

मानव हित को नए-नए औज़ार बनाने हैं ।।


मिले सभी को सुख-सुविधा सब शोषण मुक्त रहें,

इस धरती पर खुशियों के अंबार लगाने हैं ।।


खुशबूदार हवा हो जिनकी और रसीले फल ,

जीवन की बगिया में ऐसे पेड़ लगाने हैं ।।


महानगर से सड़क, गाँव,हर घर तक जाएगी ,

इस जीवन के सब के सब पथ सुगम बनाने हैं ।।


नए-नए फ़िरक़ों में बांटें जो 'ओंकार' हमें ,

सावधान उनसे रहना वे ढीठ पुराने हैं ।।


✍️ओंकार सिंह 'ओंकार' 

1-बी-241 बुद्धि विहार, मझोला , 

दिल्ली रोड , मुरादाबाद   244103

उत्तर प्रदेश, भारत

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