बस्ती-बस्ती हमें ज्ञान के दीप जलाने हैं ।
हर बस्ती से सभी अंधेरे दूर भगाने हैं ।।
सबके मन में प्रीत जगाते गीत सुनाने हैं ।
भरें उमंगें हर मन में,वे साज़ बजाने हैं ।।
हरियाली ही हरियाली हो खेतों में सबके ,
श्रम करके ही हमें सभी उद्योग चलाने हैं ।।
खोज करेंगे नए-नए हम चाँद सितारों की ,
मानव हित को नए-नए औज़ार बनाने हैं ।।
मिले सभी को सुख-सुविधा सब शोषण मुक्त रहें,
इस धरती पर खुशियों के अंबार लगाने हैं ।।
खुशबूदार हवा हो जिनकी और रसीले फल ,
जीवन की बगिया में ऐसे पेड़ लगाने हैं ।।
महानगर से सड़क, गाँव,हर घर तक जाएगी ,
इस जीवन के सब के सब पथ सुगम बनाने हैं ।।
नए-नए फ़िरक़ों में बांटें जो 'ओंकार' हमें ,
सावधान उनसे रहना वे ढीठ पुराने हैं ।।
✍️ओंकार सिंह 'ओंकार'
1-बी-241 बुद्धि विहार, मझोला ,
दिल्ली रोड , मुरादाबाद 244103
उत्तर प्रदेश, भारत
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