शुक्रवार, 21 जनवरी 2022

मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर निवासी साहित्यकार ओंकार सिंह विवेक का नवगीत ---राजनीति के कुशल मछेरे, फेंक रहे हैं जाल


राजनीति के कुशल मछेरे,

फेंक रहे हैं जाल।


जिस घर में थी रखी बिछाकर,

वर्षों अपनी खाट।

उस घर से अब नेता जी का,

मन हो गया उचाट।

देखो यह चुनाव का मौसम,

क्या-क्या करे कमाल।                   


घूम रहे हैं गली-गली में,

करते वे आखेट।

लेकिन सबसे कहते सुन लो,

देंगे हम भरपेट।

काश!समझ ले भोली जनता,

उनकी गहरी चाल।


कुछ लोगों के मन में कितना,

भरा हुआ है खोट।

धर्म-जाति का नशा सुँघाकर,     

माँग रहे हैं वोट।

ऊँचा कैसे रहे बताओ,

लोकतंत्र का भाल।


नैतिक मूल्यों, आदर्शों को,

कौन पूछता आज,

जोड़-तोड़ वालों के सिर ही,

सजता देखा ताज।

जाने कब अच्छे दिन आएँ,

कब सुधरे यह हाल।

   ✍️ ओंकार सिंह विवेक

रामपुर, उत्तर प्रदेश, भारत



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