शनिवार, 1 जनवरी 2022

मुरादाबाद मंडल के गजरौला (जनपद अमरोहा ) की साहित्यकार रेखा रानी की रचना --वर्ष पुराना गुजर रहा है





तारीखों के जीने से
चुपके से वो धीरे धीरे
देखो कोई उतर रहा है
उम्र की माला से 
आज़ फिर एक मोती
 टूट देखो गिर रहा है।
 कुछ अपने सपने से होकर
 कुछ बेगाने अपने होकर
 बिगड़ा पल फिर संवर रहा है।
 कुछ बिछुड़े हैं अनहोनी से
 बंधे हुए थे नेह डोरी से।
 वक्त लगा कर पंख सहसा
  चुपके चुपके गुजर रहा है।
  अरमानों के आसमान पर,
  आशाओं की फिर धूप खिली है। 
  गुजरे लम्हों पर झीना सा,
  एक परदा गिर रहा है।
  भोर सुहानी फिर से होगी
  तन मन सुन्दर और स्वस्थ हों
  न हो कोई भी अब रोगी।
  नवल वर्ष में जन जन में 
  यह विश्वास पल रहा है।
  नवल रश्मियां भानू शशि की
  आएंगी फिर से धरती पर,
  देखो बादल सा बनकर
  वर्ष पुराना गुजर रहा है।
  आओ बैठो फिर से पास
  घोलो अंतर्मन में उल्लास।
  रेखा जज्बातों का दरिया
  धीरे धीरे उमड़ रहा है।*
  
 ✍️ रेखा रानी
विजय नगर गजरौला ,
जनपद अमरोहा उत्तर प्रदेश

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