मेरे,
कंधे, पकड़ कर हिलाते हुए,
छोटू बोला!
क्यों पापा?
उम्र के,
इस पड़ाव पर भी,
तुम कितने बचकाने हो,
हां!
हो तो हो!
तुम बचकाने हो!
उम्र के इस पड़ाव पर भी,
और हद यह है,
कि तुम समझते भी नहीं,
कि, तुम बचकाने हो!
तो,
मैं ही,
तुम्हें समझाएं देता हूं,
कान में ही बताएं देता हूं,
ऊंचा बनने की अप्राकृतिक जिद ने,
तुम्हें बचकाना बना दिया है,
और तुम समझते भी नहीं हो!
कि तुम बचकाने हो,
उम्र के इस पड़ाव पर भी,
तुम कितने बचकाने हो!
✍️ त्यागी अशोका कृष्णम्
कुरकावली संभल
उत्तर प्रदेश, भारत
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